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गीता सत्संग,

गीता सत्संग,
कर्म को पूजा सदा मानकर ले गीता से ज्ञान.. त्रिपाठी,
नरसिंहपुर… भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं हे पार्थ तम से तमोगुण राजसी प्रवृत्ति से रजोगुण और परोपकार सेवा से सतोगुण आते हैं।जीव में जो गुण अधिक प्रभावी होते हैं उन्हीं के प्रभाव अनुसार और उन्हीं के अनुरूप जीव जन्म पाता है।हमें निष्काम कर्म करते हुये हमेशा परमात्मा का स्मरण करना चाहिए। उक्ताशय के विचार आध्यात्मिक विज्ञान शाला प्रमुख दामोदर दास गोस्वामी ने पी डब्लू डी हनुमान मंदिर प्रांगण नरसिंहपुर में 14वें अध्याय की विवेचना करते हुए गीता सत्संग में व्यक्त किये।
पं.एम एल हरदेनिया ने बताया कि परिस्थिति स्वभाव और प्रकृति के अनुरूप सत तम और रज गुण कार्य करते हैं। गीता का सत्संग हमें ज्ञान रूपी प्रकाश देता है।पं.सी बी शर्मा ने कहा कि धर्म भक्ति और नेक कर्म से सतगुण आते हैं। साहित्यकार कवि अशोक त्रिपाठी कहा कि जीवन रूपी बगिया में तीन डाकू हैं,एक कहता है मार दो,दूसरा कहता है बांध दो,तीसरा कहता है छोड़ दो।ये तीन डाकू तमोगुण रजोगुण और सतोगुण है।परमात्मा इनसे परे त्रिगुणातीत हैं जो हमे अंधकार से बचाकर हमेशा देदीप्यमान प्रकाश देते हैं। उक्त अवसर पर कविवर अशोक त्रिपाठी ने भावविभोर कविता पाठ यूं किया…
कर्म को पूजा सदा मानकर ले गीता से ज्ञान,
माया मोह से हट कर बंदे भज ले भगवान।
आयोजन में डा.महेश त्रिपाठी डा.केदार गुप्ता आर के तिवारी दिनेश श्रीवास्तव अरुण कुमार खरे डी पी साहू एस के नागवंशी आर एल पटेल एच एस साहू सहित अनेक श्रोता उपस्थित थे ।

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