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कहानी : कश्मकश

 

अमन शर्मा एक बिंदास जिंदादिल इंसान है जो अपनी जिंदगी की कश्मकश से आज भी जूझ रहा है।
अमन एक सम्पन्न परिवार में पैदा हुआ उसके पापा एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत थे। मम्मी कुशल गृहणी रही तीन भाई बहनों में अमन सबसे बड़ा छोटा भाई आदित्य व उससे छोटी बहन आशी है।
अमन कॉलेज के दिनों से ही सामाजिक कार्यकर्ता समाजसेवक व एक शीर्ष विद्यार्थी संघ का सदस्य रहा। दोस्तों में उसकी शानदार छवि थी सबकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वाला एक नेक इंसान ही अमन की पहचान रही। अमन अपने माता-पिता और दो छोटे भाई बहन के साथ परिवार में खुशहाल जिंदगी बिताते हुए अपने केरियर की ओर बढ़ रहा था। तभी अचानक उसकी जिंदगी में एक महत्वाकांक्षी लड़की सोनम ठाकुर का आगमन हुआ। मिलना-जुलना बड़ा इस तरह अमन और सोनम की अच्छी दोस्ती हो गई और आमतौर पर जो होता है वही हुआ दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला।
दोनों एक दूसरे के प्यार में इस कदर डूबे की जीवन साथ बिताने के सुनहरे सपने देखने लगे। दोनों ही अपने घरवालों से छुप-छुप कर मिलते रहे साथ में घूमते रहे कुछ महीनों तक यही सिलसिला चला।फिर एक दिन दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया।
दोनों ही अपने परिवार में यह बात बता नहीं पा रहे थे क्योंकि उन्हें मालूम था पापा-मम्मी इस शादी के लिए तैयार नहीं होंगे आखिर दोनों ने एक दिन शादी कर ली। उसके बाद दोनों के परिवार वालों को पता चला। अमन और सोनम का तो जैसे सपना सच हो गया था। दोनों अपने परिवार से दूर अपनी ही दुनिया में मस्त थे और भविष्य के सपने बुन रहे थे, और उधर दोनों के ही माँ- बाप को गहरा सदमा लगा था।
हर माँ- बाप के अपने बच्चे के लिए कुछ अरमान होते हैं इन सब पर जैसे पानी फिर गया था। समाज में रिश्तेदारी में बदनामी जैसा महसूस कर रहे थे और अपने बाकी बच्चों के सम्बन्ध को लेकर चिंतित थे।
दोनों कुछ महीने घर से दूर रहे फिर धीरे-धीरे आना जाना शुरू हुआ अमन के मम्मी पापा ने दोनों को घर में रहने के लिए बुला लिया और सभी मिलकर साथ ख़ुशी से रहने लगे। फिर तभी अचानक पता चला की अमन के छोटे भाई आदित्य ने प्रिया चौहान नामक लड़की से शादी कर ली। आदित्य भी बड़े भाई अमन के नक्शे कदम पर चल पड़ा और इस घटना से अमन के माँ- बाप व छोटी बहन आशी को भारी आघात लगा।
आदित्य तो मौके की तलाश में ही था बड़े भाई ने अपनी मर्जी की शादी की तो उसे भी हिम्मत आ गई अब दोनों बेटे दोनों बहुएं साथ रहने लगे।
माँ- बाप की मजबूरी थी क्योंकि अमन को साथ रखा था तो आदित्य को भी साथ रखना पड़ा।
कुछ दिन तो सब ठीक चला फिर आपस में अन- बन होने लगी।
मम्मी ने काफी कोशिश की दोनों बहुओं को खुश रखने की लेकिन आज के माहौल में बड़ा मुश्किल होता है सबको साथ रखना। अमन व आदित्य ने मर्जी से शादी करके माँ- बाप को गहरा दुख पहुँचाया था अब उन्हें अपनी बिटिया के संबंध की चिंता सताने लगी थी उन्हें लग रहा था कि दोनों बेटों ने दूसरी समाज मे शादी की है तो बेटी की समाज में शादी कैसे हो पाएगी ?
फिर भी वह अपनी लाड़ली बिटिया के लिए अच्छा पारिवारिक लड़का तलाशने में जुट गए उधर छोटे भाई आदित्य के यहाँ बेटे का जन्म हुआ और घर का माहौल थोड़ा खुशनुमा हो गया। नन्हें मेहमान के आने से सभी खुश थे, अब अमन और सोनम का सबके साथ रहना मुश्किल हो रहा था तो वो दोनों घर से अलग रहने लगे और दोनों ही नौकरी करने लगे। इधर मम्मी पापा की कोशिश आशी के संबंध के लिए जारी थी। कई जगह बात भी चली पर भाइयों की शादी की वजह से रिश्ता हो न सका, तभी अचानक एक सभ्य सुशील पारिवारिक लड़के आशीष के बारे में पता चला और सब देख परखने के बाद आशी व आशीष का संबंध तय हो गया अब अमन के माता- पिता ने कुछ राहत की सांस ली और अपनी लाड़ली बिटिया के शादी के सपने सजाने लगे और देखते ही देखते वो शुभ दिन आ गया।
आशी की शादी बड़ी धूम-धाम से सम्पन्न हुई दोनों भाइयों ने अपनी लाड़ली बहना को शान से विदा किया और अमन के अभीभावक बेटी की शादी अच्छे घर में करके निश्चिंत हो गए। उधर आशी व आशीष जिंदगी के सुहाने सफर में मशगूल हो गए।
कुछ दिनों बाद अमन और सोनम के यहाँ प्यारी सी बिटिया ने जन्म लिया। परिवार में दूसरे बच्चे के रूप में बिटिया के शुभ आगमन से सभी बड़े खुश थे अब अमन की जिम्मेदारी और बढ़ गई नन्हीं बिटिया के आने से, अच्छी नौकरी के लिए अमन को मध्यप्रदेश छोड़कर छत्तीसगढ़ जाना पड़ा सोनम व बिटिया को लेकर। आपसी पति पत्नी की नोक झोंक के साथ जिंदगी बिटिया की परवरिश करते हुए आगे बढ़ रही थी। करीब दो साल बाद अचानक किसी कारण से छोटे भाई ने मम्मी- पापा के साथ रहते हुए आत्म हत्या कर ली इस अत्यंत दुःखद घटनाक्रम से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। अमन के मम्मी पापा जवान लड़के के इस तरह जाने से सदमे में आ गए खुशहाल परिवार बहुत भारी दुख से अचानक घिर गया। धीरे- धीरे समय बीतता गया फिर ईश्वर की कृपा से एक दिन बहुत ही खुशी का पल आया। आशी बिटिया को सुंदर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और सारे परिवार को प्रसन्न होने का अवसर मिला।
आशी व आशीष के यहाँ बेटे के जन्म से दुख के लम्हें हर्ष में बदल गए अब अमन प्यारे से भांजे के मामा बन गए थे। इस नन्हें फ़रिश्ते के आने से परिवार में खुशियों की लहर दौड़ गई थी।
अमन के मम्मी- पापा छोटे बेटे का गम भुलाते हुए अपना जीवन व्यतीत करने लगे, अमन भी अपने परिवार में व्यस्त था कुछ महीनों बाद अमन को दूसरे बच्चे के रुप में पुत्र रत्न प्राप्त हुआ। पहले से बेटी के बाद बेटे का जन्म होने पर सभी बहुत खुश थे अब अमन पर दो बच्चों की जिम्मेदारी आ गई थी। वह मेहनत से अपनी नौकरी कर रहा था आम पति- पत्नी की भांति अमन और सोनम में आपसी खट-पट चलती ही रहती थी। इसी बीच अमन छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश अपने पुराने शहर ही आ गया और नौकरी की तलाश में जुट गया काफी प्रयास के बाद उसे काम मिल गया।
अमन का बच्चों सहित मम्मी-पापा के साथ रहना संभव नहीं था इसलिए वो अपने परिवार सहित किराए के मकान में रहकर जीवन व्यतीत करने लगा।
वक्त अपनी रफ्तार से गुजर रहा था फिर एक दिन अचानक अमन के परिवार पर जैसे दुखों के बादल छा गए, अमन के पिता असमय हृदयाघात से सबको छोड़कर इस दुनिया से विदा हो गए वे अपनी नौकरी का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए सेवानिवृत होने के छह महीने पहले ही चल बसे।
इस अप्रत्याशित घटना से पूरा परिवार व सभी रिश्तेदार स्तब्ध रह गए सबसे ज्यादा आघात अमन की माँ को लगा क्योंकि वो छोटे बेटे आदित्य को पहले ही खो चुकी थी और अब पति के जाने से वो बिल्कुल टूट गई।
अमन पहले से ही अपने बच्चों के साथ परिवार से अलग रह रहा था और चाहकर भी अपनी माँ के साथ नहीं रह पा रहा था, अब माँ की पूरी जिम्मेदारी बेटी आशी पर आन पड़ी थी, क्योंकि अमन की पत्नी सोनम स्वछंद विचारों की है वो अपनी सास के साथ नहीं रह पा रही थी। अमन की लाख कोशिशों के बाद भी वो अपनी माँ के साथ रहने में असमर्थ था।
माँ अमन के पापा के जाने के बाद बहुत ही अकेलापन महसूस कर रही थी।
यूँ ही समय बीतता जा रहा था परिस्तिथियों को देखते हुए अमन की माँ की देखभाल उनकी बेटी आशी और दामाद आशीष को ही करना पड़ रही थी।
अमन अपनी अच्छी नौकरी न होने के कारण परेशान रहता था और उसकी अपनी पत्नी सोनम से भी तकरार होती रहती थी दोनों बच्चे भी बड़े हो रहे थे। जिम्मेदारियां भी बढ़ रही थी इसी बीच बड़े प्रयास के बाद अमन को पिता जी के आशीर्वाद के रूप में उनकी जगह अनुकम्पा नियुक्ति मिल गई और अमन सोनम व बच्चे आर्थिक रूप से मजबूत हो गए अमन भी पापा के संस्थान में नौकरी पाकर बहुत खुश है।
वर्तमान में वह पूरी मेहनत व लगन से अपनी नौकरी करते हुए आज भी जिंदगी की कश्मकश से जूझ रहा है…!!!

डॉ.अमित मालवीय ‘हर्ष’
कवि लेखक व गीतकार
राष्ट्रीय सलाहकार
संस्था एक प्रयास,भारत

2 Comments

  1. बहुत बहुत धन्यवाद आभार आदरणीय संपादक जी 😊💐

  2. सच्ची घटना पर आधारित कहानी “कश्मकश” के प्रकाशन पर बहुत बहुत धन्यवाद आभार आदरणीय संपादक कवि संगम त्रिपाठी जी का 💐😊💐

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