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दशहरा: विजय का प्रतीक और शिक्षाओं का पर्व

दशहरा: विजय का प्रतीक और शिक्षाओं का पर्व  

दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और इसका संदेश है कि सत्य और न्याय की हमेशा जीत होती है।
दशहरा की पौराणिक कथा
दशहरा मुख्यतः भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध और माता सीता को वापस लाने की घटना से जुड़ा है। भगवान श्री राम ने अपनी पत्नी सीता के अपहरणकर्ता रावण को हराया और रावण के दस सिरों का प्रतीक रूप से विनाश किया, जो अहंकार, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष, काम, क्रूरता, अन्याय, स्वार्थ और अधर्म के प्रतीक हैं।
रामायण में वर्णित इस घटना के अनुसार, भगवान राम ने रावण को पराजित कर यह सिद्ध किया कि सत्य, धर्म और मर्यादा का पालन करने वाला व्यक्ति चाहे कितनी भी कठिनाइयों का सामना करे, अंततः उसकी विजय सुनिश्चित है।
महाभारत और विजयदशमी
महाभारत में भी विजयदशमी का विशेष महत्व है। इस दिन पांडवों ने अपना वनवास समाप्त कर अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की थी और युद्ध के लिए तैयार हुए थे। यह दिन साहस, धैर्य और रणनीति की विजय का प्रतीक माना जाता है।
दशहरा से मिलने वाली शिक्षा
1. धर्म और सत्य की विजय: दशहरा हमें यह सिखाता है कि धर्म और सत्य की हमेशा जीत होती है। रावण की शक्ति और साम्राज्य की तुलना में भगवान राम की विनम्रता और धर्म का पालन महत्वपूर्ण था। रावण के अहंकार और अधर्म ने उसका सर्वनाश किया।
2. बुराई पर अच्छाई की जीत: दशहरा का संदेश है कि चाहे कितनी भी बुराई हावी हो, अच्छाई का मार्ग सदा विजयी होता है। यह हमें प्रेरित करता है कि अपने जीवन में भी हम बुराईयों से लड़ें और अच्छाई का अनुसरण करें।
3. धैर्य और साहस का महत्व: भगवान राम ने अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए भी धैर्य नहीं खोया और अपने कर्तव्य का पालन किया। यह हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, हमें धैर्य और साहस से काम लेना चाहिए।
4. समाज और परिवार की अहमियत: भगवान राम ने अपने परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने के लिए अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं का त्याग किया। यह संदेश देता है कि समाज और परिवार के प्रति हमारी जिम्मेदारियाँ सर्वोपरि हैं।
5. आत्म-निरीक्षण की आवश्यकता: रावण के दस सिर, मानव की दस बुरी प्रवृत्तियों के प्रतीक हैं। दशहरा हमें यह मौका देता है कि हम आत्म-निरीक्षण करें और इन बुरी आदतों को अपने जीवन से समाप्त करें।
दशहरा का आधुनिक संदर्भ
आज के समय में भी दशहरा हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देता है। जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियाँ हों, सत्य, न्याय और ईमानदारी का मार्ग अपनाकर हम सफल हो सकते हैं। यह पर्व व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर अच्छाई, न्याय और सद्गुणों को बढ़ावा देने का संदेश देता है।
दशहरा हमें प्रेरित करता है कि हम अपने भीतर की बुराइयों को पहचानें और उन्हें दूर करें, ताकि हम एक सशक्त, न्यायप्रिय और सकारात्मक समाज का निर्माण कर सकें।
दशहरा केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन के कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों की याद दिलाता है। यह अच्छाई, न्याय, साहस और धैर्य की जीत का प्रतीक है, जो हमें सही मार्ग पर चलने और दूसरों के लिए एक आदर्श बनने के लिए प्रेरित करता है।
डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज
प्रवक्ता, असीसी कॉन्वेंट (सी. सै.) स्कूल एटा उ. प्र. 207001
संपर्क सूत्र _ 9412388238

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