पर्यावरण
पर्यावरण
यदि जीवन को सुंदर सुगम बनाना है ,
तो पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त कराना है ।
पॉलीथिन और प्लास्टिक को दूर हटाना है ,
हम रक्षक हैं भारत के इसे सशक्त बनाना है ।
वृक्षारोपण करके हम हरियाली लाएंगे ,
हम स्वस्थ भारत की मिलकर तस्वीर बनाएंगे ।
यदि जीवन——————–
वन्य-जीव हैँ ,मित्र हमारे,
हम ही हैँ,बस इनके सहारे।
है,हम सबके ये हितकारी,
बिन झोली के ये भिखारी।
इनके आखेट पर रोक लगाएंगे
जो ऐसा करेगा,सजा दिलाएंगे
अब न इनकी नस्ल मिटाएंगे
हम इन्हें बचाएंगे,इन्हे बचाएंगे।
यदि जीवन को—————–
जल को भी ना अब हम व्यर्थ गवायेंगे,
करके जल का संरक्षण इसे बचाएंगे
सुन लो प्यारे हे! कृषक,
ये धरा है,बड़ी आकर्षक।
खेतों में डालो कम खाद,
वरना पछताओगे तुम बाद।
यदि जीवन को—————–
बिजली को न अब हम व्यर्थ गवाएंगे,
करके इसका मितव्ययी प्रयोग इसे बचाएंगे।
मृत शरीर को न खुले में जलाएंगे,
विद्युत शवदाह का कर प्रयोग इसे बचाएंगे।
यदि जीवन को सुन्दर
सुगम————————-
पर्यावरण हो रहा प्रदूषित,
जीवन न हो जाए कलुषित।
आओ मिलकर पर्यावरण को हम सजाएंगे,
करके इसका संरक्षण इसे बचाएंगे।
यदि जीवन को सुन्दर————-
शाकाहारी जीवन को अपनाओ,
माँस – मीट को दूर हटाओ ।
प्राकृतिक चीजों को तुम खाओ,
अपनी दिनचर्या इन्हें बनाओ।
बहुत कर ली गलतियां अब ना दोहराएंगे ,
प्रकृति की गोद में हम सो जाएंगे
पौधों को भी बच्चों सा अब पोषित करना है ,
इन्हें सींचना जल देना न शोषित करना है ।
यदि जीवन को—————-
आएगी जब दिवाली आतिशबाजी नहीं करेंगे हम ,
घर-घर में दीप जलाकर उर में दंभ करेंगे हम ।
प्रकृति को पुनः नई दुल्हन सी सजाना है,
करके उसका श्रृंगार हरी-भरी बनाना है।
कल- कल बहती नदियों को न रोको बहने दो ,
बहुत सह ली मलिनता अब निर्मल रहने दो ।
प्रकृति ने जो हमको दिया उसे वहीं पर रहने दो ,
ना बदलो उसका स्वरूप जस- तस का रहने दो ।
यदि जीवन को सुंदर सुगम बनाना है,
तो पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त कराना है ।
चारु मित्रा