एक गीत (नियम बने कुछ ऐसा सारे हिंदी बोलें।)
एक गीत (नियम बने कुछ ऐसा सारे हिंदी बोलें।)
नियम बने कुछ ऐसा सारे हिंदी बोलें ।
उठें हैं नींद से जागेंअपनी आंँखे खोलें।
अपनी भाषा का भी साथ निभाएँ सारे,
द्वार मगर अपने हिंदी का मिलकर खोलें।
हूं पंजाबी मगर बोलता हूं मैं हिंदी।
संग चले मलयालम उर्दू या फिर सिंधी।
बहुत सरल है हिंदी में उच्चारण करना,
हिंदी तो है भारत के माथे की बिंदी।
हिंदी बोलेँ भारत में मस्ती में डोलें,
नियम बने कुछ ऐसा सारे हिंदी बोलें।
हिंदी मुझको लगती है सांँसों से प्यारी।
हर भाषा के फूलों की यह तो है क्यारी।
आओ सारे मिलकर ऐसा बाग सजाएँ,
हिंदी की ,सारी भाषाएंँ ले बलिहारी ।
कौमी एकता का दुनिया में रस्ता खोलें,
नियम बने कुछ ऐसा सारे हिंदी बोलें।
राज्य भाषा हिंदी को बनाया जाए।
रुतबा राष्ट्रभाषा का दिलाया जाएः
मान बढ़ेगा इससे भारत माँ का जग में,
मिलकर सरकारों को समझाया जाए।
दुनिया भर में हिंदी का यूँ रस्ता खोलें,
नियम बने कुछ ऐसा सारे हिंदी बोलें।
आत्मप्रकाश कुमार अहमदाबाद गुजरात भारत
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