विश्व विजयी पतवार है हिन्दी…पूर्णिका
विश्व विजयी पतवार है हिन्दी…पूर्णिका
शब्दों का संसार है हिन्दी,
सबका नेह दुलार है हिन्दी,
सरल,सहज व सौम्य,सुहानी
मीठी और उदार है हिन्दी,
स्वर व्यंजन विराम और बिंदी
भाषा का श्रृंगार है हिन्दी,
गति,लय ताल,तरलता,सबमें
हरदम सदाबहार है हिन्दी,
मां जैसे बच्चों में बांटे
वो निच्छ्ल सा प्यार है हिन्दी,
भारत माता की बेटी सा
सुरभित सा आकार है हिन्दी,
रोम-रोम को पुलकित करती
गंग-जमुन की धार है हिन्दी,
सागर को गागर में भरती
विपुल उर्वरा थार है हिन्दी,
मिलता जिससे यश और गौरव
वो सम्बल आधार है हिन्दी,
दुश्मन सरहद पर गरजे तो
आग और अंगार है हिन्दी,
जन,गण मन और वंदे-मातरम्
राष्ट्रभक्ति का सार है हिन्दी,
विश्वगुरु की उपलब्धि में
बहुत बड़ा उपकार है हिन्दी,
युगों-युगों से कश्ती थामे
विश्व विजयी पतवार है हिन्दी ।
अशोक त्रिपाठी
ओज हास्य कवि
नरसिंहपुर म.प्र