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संस्कृत दिवस पर संस्कृत सभी भाषाओं की जननी विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन

संस्कृत दिवस पर संस्कृत सभी भाषाओं की जननी विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन

औरंगाबाद 19/8/24
सदर प्रखंड स्थित ग्राम जम्होर में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के तत्वावधान में विश्व संस्कृत दिवस समारोह धूमधाम से मनाई गई।संस्था के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र,महामंत्री धनंजय जयपुरी के आह्वान पर संस्कृत दिवस के मौके पर संस्कृत सभी भाषाओं की जननी विषयक विचार गोष्ठी के संबोधन के क्रम में संस्था के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने कहा कि प्राचीन समय में संस्कृति जनसंपर्क की भाषा थी। यूगों युगों से संस्कृत भाषा भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की धरोहर के रूप में जानी जाती रही है। वेद,उपनिषद,रामायण संस्कृत में ही रचे गए थे।संस्कृत को देव भाषा की संज्ञा दी गई है।कालिदास के जमाने में एक पथिक के द्वारा संस्कृत में वार्तालाप करना यह दर्शाता है कि प्राचीन समय में संस्कृत कितनी समृद्ध भाषा रही होगी।आज एक बार पुनः संस्कृत को उस दौर में लौटाने की आवश्यकता है। 1969 ईस्वी में पहली बार संस्कृत दिवस सावन पूर्णिमा को मनाई गई थी। संस्कृत के महान व्याकरणाचार्य पाणिनि का इसी दिन जन्म हुआ था।उनके जन्मोत्सव को उत्कृष्ट बनाने वास्ते उनके जन्मदिन को संस्कृत दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा शुरू की गई। यह सभी भाषाओं की जननी है आज विश्व के जितने भी भाषा स्वयं को समृद्ध कहते हैं उनके बहुत से वाक्य,शब्दाक्षर संस्कृत से मिलते जुलते रहते हैं।विचार गोष्ठी के मौके पर राणा सुनील, सुजीत कुमार सिंह, अमन राज, राहुल कुमार, पवन कुमार सिंह, सोमप्रकाश रविकर,सौरभ राज सहित अन्य उपस्थित थे।

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