राम जगताधार
राम जगताधार
मुझ में हैं राम और तुझमें भी राम बसे
जड़ चैतन्य सभी में श्री राम हैं
आदिहैं,अनंत,अजर अविनाशी राम
धरती के कण-कण में बसे श्री राम हैं
राम आस,राम श्वास,राम ही हैं विश्वास
आस्था और धर्म,सत्य न्याय श्री राम हैं
राम बिना नहीं अस्तित्व कोई धरती पे
राम ही हैं तीर्थ और राम चारों धाम हैं
राम कोई नाम नहीं,राम कोई शब्द नहीं
राम में समाया हुआ सारा ब्रह्माण्ड है
चंद्रमा की चांदनी और सूरज की आभा राम
तारों की झिलमिल में बसते श्री राम हैं
त्याग, धैर्य,साहस के पाठ को पढ़ाने वाले
सौम्यता, पवित्रता की छवि श्री राम हैं
कुल की मर्यादा, के हेतु गये वनवास
पिता के वचन को निभाने वाले राम हैं
ऊंच- नीच भेद को मिटाया प्रभु राम जी ने
मानवता की सीख सिखाने वाले राम हैं
गले से लगाया निषादराज गुह को और
भीलनी के झूठे बेर खाने वाले राम है
कृपा कोर अपनी बनाए प्रभु रखिएगा
एक ही भरोसा हमें राम तेरा नाम है
बिन राम कोई अस्तित्व नहीं किसी का भी
हमको तो दुनिया में लाने वाले राम हैं
तरुणा खरे जबलपुर