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प्रेमचंद जी को__लब्ध प्रतिष्ठ,

प्रेमचंद जी को__लब्ध प्रतिष्ठ, कथाकार,उपन्यासकार__प्रेमचन्द, बनाने में उनकी विमाता एवं उनकी कर्कशा पत्नी का बहुत बड़ा __योगदान है.
( गायकी के बेताज बादशाह थे__मु० रफी.)

बक्सर – ३०/जुलाई/२०२४, साहित्याकाश के देदीप्यमान नक्षत्र_मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती, एवं मु०रफी की पुण्य तिथि की पूर्व संध्या पर,__ भोजपुरी दुलार मंच, एवं प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा, भारत के संयुक्त तत्वाधान में__ मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सभा के सलाहकार__डॉ. ओमप्रकाश केसरी पवननन्दन‌, साहित्यकार, मरणोपरांत देहदानी ,के संयोजन एवं संचालन मेंऔर वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा जी की अध्यक्षता में,_ पार्वती निवास परिसर बंगाली टोला में भव्य रूप से जयंती एवं पुण्य तिथि सम्पन्न हुआ.
आयोजित समारोह का भव्य उद्धाटन__ वरीय चिकित्सक एवं समाजसेवी डॉ ०महेन्द्र प्रसाद, डॉ ० शशांक शेखर, शशि भूषण मिश्र, आदि ने दीपप्रज्वलित करके एवं प्रेमचंद और मु० रफी जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण करके किये.
अपने उद्धाटन सम्बोधन में डॉ ० महेंद्र जी ने कहा_कि कथाकार एवं उपन्यासकार प्रेमचंद जी ने अपनी साहित्य साधना के माध्यम से मां भारती की सेवा में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिये इनकी लगभग दो सौ से अधिक रचनाएं सामाजिकता की विभिन्न पहलुओं को दर्शाती है. पंचपरमेश्वर, गोदान आदि एक मिल का पत्थर है. डॉ शशांक जी ने इन्हें एक कामयाब रचनाकार के रूप में याद किये. शशि भूषण मिश्र ने प्रेमचंद जी को महान कहानीकार के रूप में याद किये.
अपने अध्क्षीय उद्बोधन में रामेश्वर प्रसाद वर्मा जी ने कहा कि प्रेमचंद मानवतावादी एवं समाजवादी रचनाकार थे. ये हर वक्त याद किये जायेंगे.
मान्य अतिथियों में_ शिव बहादुर पांडेय प्रीतम ने इनको आदर्शवादी रचनाकार के रूप में याद करते हुए, अपनी कविता के माध्यम से अपनी बात रखी.
राजा रमण पांडेय मिठास ने अपनी मीठी वाणी मधुरता बरसाते हुए, प्रेमचंद जी को एक समसायमिक रचनाकार बताये.
वरिष्ठ वयोवृद्ध साहित्यकार ,महेश्वर ओझा महेश ने ऐसे साहित्यकार को एक महान एवं सामाजिकता के धरोहर के रूप में नमन किये. अतुल मोहन प्रसाद जी ने इनको कुशल कलमकार एवं उच्च कोटि के साहित्यकार मानकर अपनी श्रद्धांजलि निवेदित किये.विनोधर ओझा ने बहुत ही कम शब्द में इन्हे युगपुरुष बताये.
ई०रामाधार सिंह ने एक आलेख के द्वारा अपनी बात रखी. लक्ष्मण प्रसाद जायसवाल ने मुंशी प्रेमचन्द जी को कहानीकार के रूप में याद करते इनके जीवन के बारे में चर्चा की. कन्हैया दुबे जी ने अपने व्यक्तव्य में बताये कि प्रेमचंद जी अपनी कहानी एवं उपन्यास के माध्यम से देश एवं समाज की स्थिति का दिग्दर्शन कराये. ललित बिहारी मिश्र सुहाग ने भी अपनी बारी आने पर कहानीकार एवं उपन्यासककर घनपत राय उर्फ मुंशी प्रेमचंद जी की रचनाओं याद करते हुए अपनी बात रखी.देहाती पंडित ने भी कविता के माध्यम से श्रद्धा सुमन समर्पित किये.
संचालन कर्ता__डॉ ०पवननन्दन ने__ कथा एवं उपन्यासकार सम्राट को एवं पार्शव गायक मु०रफी को अपनी श्रद्धा निवेदित करते हुए, कहा कि प्रेमचंद जी को महान बनाने में उनकी विमाता और उनकी कर्कशा पत्नी का विशेष योगदान है. मुंशी प्रेमचंद जी इन दोनो औरतों की जली कटी बातें, इनकी उलाहना, उपेक्षा एवं मर्मभेदी बातों से उबकर घर से बाहर निकलकर आम की बागीचा में बैठकर धंटों कागज पर अपनी मानसिक आधातों के साथ__साथ बहुत सारी बातों को लिखा करते थे.इसी तरह लगातार अभ्यास करते__करते वह बालक एक दिन विश्व का बहुत ही सफल कहानीकार एवं उपन्यासकार बनकर निखरे, जिनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक है और रहेगी.
प्रेमचंद जी ने अपनी कहानी एवं उपन्यासों मानवता एवं आम आदमी की बातों उकेरा है____पंच परमेश्वर, ईदगाह, कफन,गबन,गोदान, कर्म भूमि, सहित अनेक उनकी रचनाएं है जो पढने पर लगता है कि __अरे यह तो हमारी बातें. यही रचनाकार की सफलता है. पंच परमेश्वर न्याय की बात, ईदगाह का लडका अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदने की बात, गोदान में होरी द्वारा गोदान करने की कसमकश. कफन मे आग पर भुजा हुआ आलू खाने की बात इत्यादि. इनकी सभी रचनाएं आज भी प्रासंगिक है और रहेगी, लगभग दो,__तीन सौ से अधिक कहानी एवं उपन्यास की रचना किये थे. फिल्म में भी गये लेकिन टिक नहीं पाये. विधवा विवाह के बारें में लिखे ओर खुद शिवरान विधवा से विवाह, गरीबी में साहित्य की सेवा करते रहें, आजादी में भी भाग लिये.
साहित्य के लिए जिये और साहित्य की सेवा करते__करते मौत को गले लगा लिए .
दूसरे महान व्यक्ति पार्शव गायक बेताज के बादशाह मु०रफी की पुण्य तिथि पर उनको याद करते हुए,__गायक गुलाम ख्वाजा जी ने अपने मधुर स्वर उनके गाये गीतों के अपनी श्रद्धांजलि देते हुए अनेक गीतों के बाद___तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे…….. गीत को गाकर समां बांध दिया.
इसी कडी में____संचालन कर्ता_डॉ ०पवननन्दन‌, ने भी____जब__जब बहार आई और फूल मुस्कुराये, मुझे तुम याद आये………. गाकर कार्यक्रम को यादगार बना दिये.
कन्हैया दुबे जी आभार प्रदर्शन के पश्चात कार्यक्रम को विराम दिया गया……
और सबसे अलग रूप से वरीय साहित्यकार__रामेश्वर मिश्र विहान जी ने अपने बातों के माध्यम से महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद को एक संवेदनशील साहित्यकार बताये

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