नदियां बहती—
नदियां बहती—
उपलाई नदियां बहती
अपनी मदमस्त चाल
जब उफानें भरती प्रचंड
होके नीची ढ़लान की ओर।
ऊंच-नीच की पर्वंत
तराई पर बैखोप हो बहती
कलरव कर असाध्य में
शोर मचाती ढ़लान की ओर।
घनघोर गर्दिश वर्षा की
तूफ़ानी लहर की बूंदों में
कितनी ही बड़ी बलिष्ठ नहर
बांधें तोड़ती ढ़लान की ओर।
भयावह से भयंकर रूप
लेती सूखी नदियां अपनी
शान-ऐ-शान में प्रलयकारी
समा बांधे ढ़लान की ओर।
काफी धन-जन की क्षति
होती किसी राष्ट्र की
और कहीं कृषक-कृषि भी
लाभांवित है ढ़लान की ओर।
काश! नदी की स्वभाव
ही होती ऊंची छलांग से
नीची ढ़लान में अपनी क्षम्य
शक्ति साधना ढ़लान की ओर।
पवित्र गंगा यमुना गोदावरी
ब्रह्मपुत्र सतलज की
निर्मल जलधार जीवन उमंगीत
कर बहती ढ़लान की ओर।
पाप-पुण्य के संकीर्ण सफ़र
पर मृत्यू-मौक्ष की
जीवांत दर्शन साक्षात्कार में
बर्बस बहती ढ़लान की ओर।
स्वर्गिक दृश्य के मनोरम
छटा से सुशोभित होती जीवन
पथ की सत्यार्थ में
प्रवाहित होती ढ़लान की ओर।
सच्चिदानंद किरण भागलपुर बिहार