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भक्तिकाल के कवि कबीरदास

भक्तिकाल के कवि कबीरदास

प्रासंगिक है उनका समाजवाद
औरंगाबाद 22/6/24
सदर प्रखंड स्थित ग्राम जम्होर में में भक्ति काल के निर्गुण शाखा के सामाजिक क्रांति लाने वाले अन्यतम कवि कबीर दास जी की जयंती समारोह धूमधाम से मनाई गई। जयंती समारोह की अध्यक्षता विधायक प्रतिनिधि प्रदीप कुमार सिंह ने किया। सर्वप्रथम उनके तैल चित्र पर उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित किया। तत्पश्चात,जयंती समारोह में संबोधन के क्रम में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष सह समकालीन जवाबदेही पत्रिका के सह संपादक सुरेश विद्यार्थी ने कहा कि कबीर दास का समाजवाद वर्तमान परिवेश में उतना ही प्रासंगिक है जितना भक्ति काल में था।सभी धर्मों में समन्वयवादी विचारधारा उनके साहित्य की मुख्य थीम थी। अहंकार और माया से मुक्ति भक्ति मार्ग से ही संभव है। उनका भक्ति मार्ग निर्गुण को आश्रित है क्योंकि सभी धर्म में व्याप्त कुरीतियों के प्रति उन्होंने लोगों को जागृत करने का कार्य किया था। आज हम यदि समाजवाद को समाज में परिष्कृत करना चाहते हैं तो कबीर दास के उसूलों पर चलना होगा।उनके बताए मार्ग को अमल में लाना होगा ।कबीर दास की रचनाएं बीजक, कबीर ग्रंथावली,अनुराग,सागर, साखी,सबद,और रमैनी है।उनकी कुछ रचनाएं सिक्खों के आदि ग्रंथ में भी देखने को मिलती है। कबीरदास युग परिवर्तनकारी थे। उनका समाजवादी चिंतन आज भी पूर्ण प्रासंगिक है।जयंती के मौके पर सुजीत कुमार सिंह, राणा सुनील सिंह,पवन कुमार सिंह,विक्की कुमार गुप्ता,धर्मेंद्र कुमार,कमांडो पासवान सहित अन्य उपस्थित थे।

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