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नारी शिक्षा एवं शसक्तीकरण

नारी सृष्टि निर्माता की एक अद्वितीय रचना है | नारी के आभाव मे सृष्टि की कल्पना भी नही की जा सकती है | मन जाये तो नारी एक ऐसा छायादार वृक्ष है जिसकी चाय तले पुरुष अपनी सभी प्रकार की समस्या को भूल जाता है | नारी कोमलता ,मधुरता ,पवित्रता ,सहनशीलता ,दक्षता आदि सभी गुणों से पूर्ण होती है | नारी श्रद्धा है ,नारी शक्ति है ,मन जाये तो सबकुछ है जो इस संसार मे सर्वश्रेष्ठ के रूप मे दिखाई देता है | नारी आदिकाल से उन सामाजिक दायित्योंको अपने कन्धो पर उठाये आ रही है ,जिन्हें यदि पुरषो के कन्धो मे डाल दिया जाये तो वह अवश्य ही लडखडा जायेगा | नारी ने पुरुष व समाज के लिए अपने दायित्यों को को पूर्ण ईमानदारी से निर्वहन किया है | सीता के प्रतिवृत , द्रोपदी के द्वारा युद्ध के लिए अपने पति को दिए गये उपदेश ,कैकेयी की युद्ध के के मैदान मे दशरथ की सहायता ,लीलावती का गणित ज्ञान ,श्रीमती इंदिरा गाँधी के राष्ट्र विकास मे मे दिया गया योगदान को सभी जानते है \ दुर्गा कलि ,लक्ष्मी सरस्वती के रूप मे पूजने वाले भारतीय न्रर ,नारी इनकी महानता एवं योग्यता को जानते हैं |

महिलाओं के सशक्तिकरण का अर्थ है – शिक्षा और स्वतन्त्रता को समाहित करते हुए सामाजिक ,आर्थिक , राजनीतिक राजनीतिक सेवाओं मे समान अवसर मिले और कानून का भी ज्ञान कराया जाये | आज अधिक आवश्यकता इस बात की है कि महिलाओं मे स्वयम की ताकत के बारे मे चेतना जाग्रत किया जाये , इससे केवल नारी शक्ति का कल्याण नही होगा बल्कि समाज का भी कल्याण होगा | महिलाओ मे पुरशो की अपेक्षा सहनशीलता , शिक्षा गृहण करने संस्कारित करने तथा अभिव्क्ति की क्षमता अपेक्षाकृत अधिक होती है | इसलिए महिला सशक्तिकरण हेतु पहली प्राथमिकता बालिका को शिक्षा प्रदान करने की होनी चाहिए | शिक्षा के द्वारा ही बालको, महिलाओं मे बौद्धिक क्षमता का विकास ,मानसिक विकास संवेगात्मक विकास , रचनात्मक विकास ,सृजनात्मक विकास सम्भव है | शिक्षा नारी को केवल शिक्षित ही नही बनाती है बल्कि आत्म निर्भर भी बनाती है | शिक्षा के द्वारा ही महिलाएं अपने मातृ शक्ति का उपयोग सृजनात्मक कार्यो और उन्नत उन्नत उर्जा शक्ति मे करती है | स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था कि लडके की शिक्षा एक परिवार की शिक्षा है जबकि लडकी की शिक्षा दो परिवारों की शिक्षा है | यह बात बिल्कुल सत्य है क्योकि यदि एक बालक शिक्षा ग्रहण करता है तो केवल एक बालक ही ग्रहण कर पाता है जबकि बालिका शिक्षित होकर सम्पूर्ण परिवार को शिक्षित बनाती है | राष्ट्र के सुखद भविष्य के सपने अच्छी बालिका शिक्षा पर ही निर्भर करती है | पूर्व राष्ट्पति डॉ०सर्वपल्ली राधाकृष्णनने कहा था कि शिक्षित महिला के बिना शिक्षित परिवार देश समाज की परिकल्पना नही की जा सकती है | महिलाओ को सशक्त बनाने मे शिक्षा की भूमिका को निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है |
• शिक्षा महिलाओ को आत्मनिर्भर व स्वालम्बी बनाती है \
• शिक्षा महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजक बनती है |
• शिक्षा महिलाओ मे सामाजिक ,आर्थिक चेतना जाग्रत करती है |
• शिक्षा से महिलाएं सीमित परिवार के महत्व को समझकर जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने मे मदद करती है |
• शिक्षा से सामाजिक बुराइयों को रोक लगाने मे सहायता करती है |
• शिक्षा से महिलाओं मे नेतृत्व क्षमता का विकास होता है |
• शिक्षा से महिलाये समाज को राष्ट्र को उन्नत बनाने मे मदद करती है |
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि महिलओं के सशक्तिकरण मे बालिका शिक्षा की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है \ स्वतन्त्रता के बाद से महिला शिक्षा मे निरंतर सुधार हो रहा है | सरकार द्वारा समय – समय पर महिला / बालिका शिक्षा पर कई योजनायें लागू किया है | वर्तमान मे महिला / बालिका शिक्षा की प्रमुख समस्याएं अग्रलिखित है |
1- *माता पिता , संरक्षक की सोंच* – भारत के ग्रामीण क्षेत्रो के माता पिता या उनके संरक्षक की आज भी यही सोंच है कि बेटी तो पराया धन है ,वह एक ऐसा वृक्ष है पराये घर मे ही छाया देना है | इसलिए बालिका शिक्षा पर कम ध्यान देते है |
2- *माता पिता के उत्तर दायित्यो का निर्वहन* – कुछ बालिकाए आज भी कम स्कूल जाती है | ओउर कम उम्र ही घरो मे माँ के प्रतिनिधि नके रूप मे रहती है | जैसे छोटे भाई – बहिनों की देखभाल करना |
3- *घरेलु कार्य* – बचपन से लडकियाँ को पढाई की अपेक्षा घरेलू काम करने के लिए प्रेरित किया किया जाता है इससे भी बालिका शिक्षा को बढ़ावा मिल्ट्स है |
4- *पर्याप्त प्रोत्साहन का आभाव* – बालिका शिक्षा प्रति अभिभावकों को पर्याप्त प्रोत्साहित नही किया जा रहा है जिससे बालिका शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पद रहा है |
5- *असुरक्षा की भावना* – भारत देश के अधिकांश राज्यों मे असामाजिक तत्वों नका बोलबाला है जिससे समाज मे व्याप्त असुरक्षा की भावना भी लडकियों को स्कूल न भेजने मे सहयोग करती है |
इन सभी कारणों के अलावा भी ओर भी अन्य कारण है जो कि महिला सशक्तिकरण मे बाधक है ,जिन्हें सरकार ,समाज ,समुदाय को मिलकर दूर करना चाहिए |
महिला / बालिका शिक्षा मे सुधर हेतु कुछ सुझाव –
1 – बालिका शिक्षा मे सुधार हेतु सर्वप्रथम अभिभावकों ,संरक्षकों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करना होगा |
2- प्रत्येक माता पिता मे यह भावना विकसित करनी होगी कि बालक एवं बालिका शिक्षा समान रूप से सभी को प्रदान करना है |
3- प्रत्येक माता पिता का ओरिंटेशन करना चाहिए कि घरेलू कार्य लडकियों से न कराकर प्रथमिकता के आधार वप्र लडकियों को स्कूल भेजना चाहिए
4- बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए शुल्क मुक्त /छात्रवृत्तियां ,मुफ्त पाठ्यपुस्तके मुफ्त ड्रेस ,छात्रावास ,इसके आलावा भी अन्य सभी अन्य प्रकार की सुविधाए उपलब्ध करानी चाहिए |
निःसंदेह उपरोक्त सुझाओं की क्रियान्वित करने के पश्चात महिला शिक्षा का बहुत तेजी से विकास होगा क्योकि महिला सशक्तिकरण और महिला शिक्षा दोनों एक दूसरे के पूरक है |

डॉ० सुनील कुमार तिवारी
(शिक्षक , स्वतंत्र लेखक , शिक्षाविद )
कानपुर – 208007( भारत )

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