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प्रेम दिवस

प्रेम दिवस
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“प्रेम दिवस
आज है कल नहीं
परसों नहीं।”

” प्रेम आज ही
चौदह फरवरी
निश्चित तारीख है। ”

” कल नहीं है
मूड ख़राब होता
मेरे बस की नहीं।”

” रोज तमाशा
कभी नहीं करता
आज ही प्रेम।”

“बात माननी
जरूर होगी तुम्हें
प्रेम दिवस।”

“मैं कहता हूँ
माँ से प्रेम नहीं है
मेरा कुछ भी।”

“बहन से भी
नहीं है प्रेम मेरा
तुमसे ही है।”

” कसम खाता
आपकी मैं सौ बार
सच्चा प्रेम करता।”

“ये झूठ नहीं
मेरा भरोसा करो
मैं सच्चा प्रेमी।”

“मैं लुच्चा नहीं
गाड़ी में चलता हूँ
सब कुछ है।”

“प्रेम आज ही
कल नहीं करूँगा
भाड़ में जाओ।”

“लम्बी लाइन
चलो इंतजार ही
कर लेता हूँ।”

“संस्कारी नारी
नहीं आएगी पास
क्या करूँ मैं।”

” उतावला हूँ
प्रेम दिवस आज
कल परसों नहीं।”

“देखता अभी
कोई काम हो जाए
पत्नी मक्कार।”

“गोरी सी बाला
मुझे नशा चढ़ा था
सामने पत्नी।”

“बौछार हुई
चप्पलों की भी अभी
मैं शांत पड़ा।”

” दर्द बड़ा है
दुःख रहा शरीर
प्रेम दिवस।”

डॉ. विश्वम्भर दयाल अवस्थी
” वाचस्पति ”
खुर्जा, बुलंदशहर (उ. प्र.)

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