“जीवन को बैलेंस करना ही है”
“जीवन को बैलेंस करना ही है”
ईश्वर की अद्भुत सृष्टि जग है
इसमें मानव श्रेष्ठ सृजन है
वह कई रिश्तों के साथ जीता है
सारी संबंधों को संभालता है
अपना जीवन बैलेंस करके विजया!
जीवन सुख दुखों का संगम है
कुछ दिन खुशियों में जीते हैं
कभी गम को भी हम सहते हैं
जीवन एक जैसा नहीं होता है
दिन-ब-दिन बदलता रहता विजया!
मनुष्य निरंतर आशा जीवी है
कई सुंदर सपने देखता है
उत्साह से दिन शुरू करता है
नया उमंग से आगे बढ़ता है
पग पग में समस्या झेलना है विजया!
हर दिन एक सवाल जैसा है
विश्वास और उत्साह भरता है
खूब कड़ी मेहनत करता है
मिले थोड़ी से ग्रुहस्ती चलाता है
बाकी समस्याओं को बैलेंस करो विजया!
सर पर बहुत भार पड़ा है
युक्ति से सारे गम झेलते हैं
खुशी का सांस लेना चाहते हैं
पल में समस्या सामने आती है
जीवन को बैलेंस करना ही है विजया!
जिस विधाता ने हमें बनाया है
वही हम में विश्वास भरता है
ईश्वर ही सुख दुखों को देता है
कर्मानुसार उनको सहते हैं
जानो तुम यही जीवन का सार है विजया!
जी.विजयमेरी, हिंदी अध्यापिका
अनंतपुर जिला,आंध्रप्रदेश