बाल दिवस: एक विशेष दिवस
बाल दिवस: एक विशेष दिवस
डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज, कवि एवं साहित्यकार; एटा।
बाल दिवस हर वर्ष 14 नवंबर को भारत में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से बच्चों के सम्मान और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। बाल दिवस भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के रूप में मनाया जाता है। पंडित नेहरू को बच्चों से विशेष लगाव था और वे बच्चों को देश का भविष्य मानते थे। इसलिए बच्चे उन्हें प्यार से “चाचा नेहरू” कहकर पुकारते थे।
इस दिन स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रतियोगिताएं, नाटक, निबंध लेखन, खेल और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम बच्चों को खुशियां बांटने और उनके प्रतिभा प्रदर्शन का अवसर देते हैं। इसके माध्यम से बच्चों के व्यक्तित्व का विकास होता है और उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है।
बाल दिवस बच्चों के अधिकारों और उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करने का एक अवसर है। बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण देना हमारा कर्तव्य है, ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें।
इस दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हर बच्चे को उसकी मूलभूत आवश्यकताएं, शिक्षा का अधिकार और उचित पोषण मिलेगा, ताकि वे अपने जीवन में उन्नति कर सकें। पंडित नेहरू का यह सपना था कि हर बच्चा एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़े, और यही बाल दिवस की सार्थकता है।
बाल दिवस एक उत्सव मात्र नहीं है, बल्कि यह बच्चों के प्रति हमारी जिम्मेदारी और उनके कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। आइए, इस बाल दिवस पर हम सब मिलकर अपने बच्चों के भविष्य को संवारने का संकल्प लें और उन्हें एक खुशहाल, सुरक्षित और सशक्त जीवन प्रदान करें।
एक बार दशरथ जी बनकर तो देखिए, निश्चित है कि बेटे फिर राम बन जाएंगे।
मिथिला व जनक जैसा संरक्षण तो दीजिए, घर घर में बेटियों को सीता जैसा पाएंगे।।