दीपावली मनाने का वैज्ञानिक पक्ष
दीपावली मनाने का वैज्ञानिक पक्ष
दीपावली का वैज्ञानिक पक्ष और महत्व भारतीय संस्कृति में गहरे अर्थों से जुड़ा हुआ है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक बल्कि पर्यावरणीय, सामाजिक और स्वास्थ्य दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यहां दीपावली से जुड़े कुछ वैज्ञानिक पहलुओं को समझने का प्रयास किया गया है:
1. स्वच्छता और स्वास्थ्य: दीपावली से पहले घरों और आसपास की साफ-सफाई की जाती है, जिससे कई प्रकार के हानिकारक कीटाणुओं और जीवाणुओं का नाश होता है। यह सफाई मानसून के बाद के मौसम में अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, जब नमी और गंदगी के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
2. वातावरण का शुद्धिकरण: दीपावली पर दीयों और धूप-धूनी का प्रयोग वातावरण को शुद्ध करने में सहायक होता है। सरसों के तेल के दीये जलाने से वायुमंडल में मौजूद हानिकारक कीटाणुओं का नाश होता है, जिससे हवा साफ होती है और स्वच्छ वातावरण बनता है। इसके अलावा, धूप और हवन से वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।
3. मौसम परिवर्तन और ऊर्जा: दीपावली का पर्व मौसम में बदलाव के समय आता है, जब ठंड का आगमन होता है। ऐसे में दीयों की रोशनी और आतिशबाजी वातावरण में गर्मी उत्पन्न करती है, जिससे मौसमी संक्रमण और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
4. सामाजिक एकता: दीपावली के पर्व पर परिवार, मित्र और समाज एकत्र होते हैं, जिससे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं। यह पर्व मानवीय गुणों जैसे प्रेम, सौहार्द, और एकता को बढ़ावा देता है, जो मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता के लिए आवश्यक हैं।
5. मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव: दीपावली के दौरान की जाने वाली पूजा, सकारात्मक सोच और खुशियों का माहौल लोगों में उत्साह और मानसिक शांति उत्पन्न करता है।
इस प्रकार दीपावली का वैज्ञानिक पक्ष न केवल परंपरागत, बल्कि आधुनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, जो हमें स्वास्थ्य,
स्वच्छता, और सामाजिक संबंधों के महत्व की याद दिलाता है। दीपोत्सव आनन्द पर्व की अनन्त शुभ कामनाओं के साथ!!
डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज, कवि एवं साहित्यकार एटा 207001,उत्तर प्रदेश।