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हिंदी सेवा समिति .संबलपुर .उड़ीसा द्वारा पुस्तक विमोचन ,सम्मान समारोह और कवि सम्मेलन आयोजित

विश्व हिंदी ,साहित्य ,संगीत ,कला,संस्कृति अकादमी इंदौर मध्यप्रदेश एवं हिंदी सेवा समिति संबलपुर उड़ीसा के संयुक्त तत्वावधान में अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलित कर माँ सरस्वती को पुष्पमाल्याअर्पण कर डाॅ.प्रेमानंद सरस्वती द्वारा सरस्वती वंदना के साथ श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति सभागार इंदौर में पुस्तक विमोचन ,कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। सम्मान में कवियों व रचनाकारों को ‘यूनिवर्सल लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान ‘से नवाजा गया । यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय स्तर का सम्मान है । सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ.विकास दवे ,पूर्व मंत्री समाज सेवी पंडित योगेंद्र महंत जी , कार्यक्रम के अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि सतनारायण सत्तन जी और विशेष अतिथि के रूप में प्रयागराज से पधारे युवा कवि डॉ अमरजीत राम जी रहें। सम्मान समारोह के पूर्व डॉ लीला मोरे धूलधोये की पुस्तक.. स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगनाऐ. और विश्वाकाश के चमकते सूर्य पुस्तक पुस्तक विमोचन के पश्चात सभी वक्ताओं ने अपने -अपने विषय पर महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया । इस क्रम में पूजा संकत ने अपने वक्तव्य में ‘अम्बेडकर और नगर निगम के कर्मचारी’ विषय पर बात रखते हुए कहा कि हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश है। यहाँ केंद्र और राज्य सरकार के साथ स्थानीय ,स्थानीयता पर बल दिया जाता है। इसे नगर निगम ,नगर पालिका तथा कस्बों में नगर पंचायत कहा जाता है। आगे उन्होंने डॉ. भीम राव अम्बेडकर के संघर्षों को रेखांकित किया और कहा कि डॉ. अम्बेडकर के विचार थे कि शिक्षा वह शेरनिक दूध हो जो जितना पियेगा उतना दहाड़ेगा। इसी क्रम में शिमला से आयी शोध छात्रा सुश्री भारती ने किन्नर विमर्श पर अपनी बात रखते हुए कहा कि किन्नरों में लैंगिक विकृति के कारण उसे जन्म से किसी कूड़े ,कचरे में डाल दिया जाता है उन्हें जीवन के प्रारम्भ से ही विस्थापन का दंश झेलना पड़ता है।उनको स्कूल में अपमानित किया जाता है । तरह – तरह की यातनाएं झेलनी पड़ती है ,उनके साथ भेद भाव किया जाता है । उनके जननांग की नुमाइश लगा दी जाती है। सुश्री भारती ने कहा कि किन्नरों में सात प्रकार की तालियां होती हैं। किन्नरों के ऐतिहासिक , सामाजिक और आर्थिक महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने उनके पौराणिक प्रसंगों का भी उल्लेख किया। इस क्रम में प्रयागराज से पधारे विशिष्ट अतिथि डॉ. अमरजीत राम ने दलित विमर्श अपनी बात रखते हुए कहा कि दलित विमर्श जीवन की सच्चाई है ,भोगा हुआ यथार्थ है। उन्होंने कहा कि दलित विमर्श सदियों का संताप , कठोर , विपन्न व अस्पृश्य जीवन के यथार्थ की कथा है। डॉ.अमरजीत राम ने दलित साहित्य की भाषा, भावबोध ,बिम्ब,प्रतीक और सौंदर्यबोध को सामान्य साहित्य से बिलकुल अलग बताया और कहा कि दलित साहित्य कपोल कल्पित नहीं है। उन्होंने गौतम बुद्ध के ‘अप्प दीपो भव’ बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर और रैदास के संघर्षों को रेखांकित किया । और कहा कि ये मेरे आदर्श हैं इनसे हमें सीख लेनी चाहिए और अपने सोये समाज को जगाना चाहिए। अगले वक्ता के रूप में पूर्व केंद्र निदेशिका दूरदर्शन केंद्र इंदौर की गीता मरकाम ने ‘स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगनाएं ‘ पुस्तक पर अपनी बात रखी और कहा कि इस पुस्तक की भूमिका लिखते समय वीरांगनाओं के बारे में बहुत कुछ जान और समझ पायी । यह पुस्तक साहित्य और इतिहास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। डॉ लीला मोरे ने बहुत कठिन परिश्रम और लगन के साथ इसे लिखा है। अगले महत्वपूर्ण वक्ता के रूप मुख्य अतिथि डॉ.जगदीश चंद्र अपाध्यय पूर्व विभागाध्यक्ष ,इतिहास विभाग ,देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर ने इतिहास के सन्दर्भ में अपनी बात रखी और वक्ताओं के महत्वपूर्ण बातों को केंद्रीय करते हुए सबको अपना आशीर्वचन दिया । इस सत्र का कुशल संचालन शीतल देवयानी और धन्यवाद ज्ञापन डाॅ प्रेमानंद सरस्वती ने किया ।

दूसरा सत्र
कवि सम्मेलन
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कार्यक्रम का दूसरा सत्र कवि सम्मेलन का रहा जिसमें देश के तमाम राज्यों से वरिष्ठ कवि ,रचनाकार उपस्थित रहें । कवि सम्मेलन में कुल 41 कवियों ने जमकर काव्यपाठ किया ।जिसमें कविता , गीत, गजल और हास्य व्यंग्य की रचनाएं शामिल थी। इन कवियों की रचनाओं में समय का सच रेखांकित होता हुआ नजर आया। जीवन के संघर्षों को पंक्तिबद्ध किया। 21 वीं सदी के सामाजिक , आर्थिक , राजनैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को कविता में पिरोये गए। महामारी की क्रूर और हिंसक चित्तवृत्तियों को कवियों ने अपनी कविता में उकेरा। दलित ,स्त्री, आदिवासियों की पीड़ा को गहरी संवेदना के साथ व्यक्त की। इस क्रम में प्रयागराज से पधारे युवा कवि अमरजीत राम ने प्रेम पर लिखी कविता ‘तुम भी लौट आओ’, ‘मटके की चीख’ और उम्मीद आदि महत्वपूर्ण कविताओं का पाठ किया। डॉ.दविंदर कौर होरा ने ‘मेरी कलम ‘ नीरज नीर ने ‘उन दिनों की बात’ , आरती चौधरी ने ‘ डंक व्यवस्था’ शीतल देवयानी ने ‘तेरे मेरे बीच सांसों की गति’ ,पंडित अशोक चतुर्वेदी ने ‘जीवन का लम्हां’ सुरेश राजपूत ने ‘नारी सम्मान ‘ अंजली श्रीवास्तव ने ‘जीवन की अभिलाषा राम’ राजेश कुमार ने ‘सौर धरा की माटी रोती’ दिनेश दानी ने ‘पहले औरात पर’ श्री लक्ष्मण पाठक ने ‘मैंने लिखी कविताएँ’ अरविन्द आचार्य ने ‘भाषा की कसौटी पर शब्दों को तौलता हूँ’,डॉ.किरण पांचाल लक्ष्मी ने ‘ऐसा हुआ होगा’ राखी जैन ने ‘आवाज देती हैं’ महाकवि डाॅ, प्रेमानंद सरस्वती ने पानी सागर का खारा प्रेमानंद ।जल जीवन का चारा प्रेमानंद। खोकर रतलामी ने सुनाया,मेरी सांसों की वीणा को यूं झंकृत कर दिया तुमने ,दिनेशदानिश ने रफ्ता रफ्ता हम भी एक दिन खाकेपां हो जाएंगे,डॉ गायत्री शर्मा प्रीत ,रोशन रोहित ,नयन राठी,राकेश मिश्रा,गिरेंद्र सिंह भदौरिया आदि ने महत्वपूर्ण कविताओं का पाठ किया । कवि सम्मेलन का कुशल संचालन अब्दुल सलाम खोकर रतलानी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दिनेश दानिश ने किया। इस अवसर पर इंदौर,इटारसी,सीतापुर ,लखनऊ ,महाराष्ट्र ,प्रयागराज उत्तर प्रदेश,हिमाचल, राजस्थान, दिल्ली,के अलावा देश के कोने -कोने से कवि, रचनाकार , साहित्य प्रेमी और शहर के तमाम सम्मानित गणमान्य उपस्थित रहें।

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