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शिक्षक प्रशिक्षण में मूल्य शिक्षा पर ( सविता स्मृति स्वरोज फाउंडेशन ने मनाया पहला स्थापना दिवस ) नियमित संवाद हो : डॉ अनुपमा

 

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) – सविता स्मृति स्वरोज फाउंडेशन के प्रथम स्थापना दिवस एवं सविता प्रथमेश के जन्मदिवस के अवसर पर ‘शिक्षा में जीवन मूल्यों के समावेश’ पर गोष्ठी का आयोजन किया गया | इस कार्यक्रम में डा. अनुपमा सक्सेना, विभागाध्यक्ष राजनीति शास्त्र, जीजीयू., डा. सुप्रिया भारतीयन, कार्यक्रम अधिकारी आकाशवाणी एवं शुभदा जोगलेकर, शिक्षाविद ने बहुत ही सहज अंदाज़ में अपने विचार प्रस्तुत किये | कार्यक्रम के शुरुआत में स्मृति सविता पत्रिका के तृतीय अंक का विमोचन भी किया गया | मुख्य अतिथि डा. अनुपमा सक्सेना ने कहा कि समाज का शक्तिशाली वर्ग मूल्यों को हमेशा से प्रभावित करता आया है | प्रशासक एवं शिक्षक समाज में मूल्यों के वाहक माने जाते हैं | परन्तु, उनका चयन सिर्फ अकादमिक सफलता के आधार पर होता है | इस संबंध में समाधान यही नजर आता है कि शिक्षक प्रशिक्षण में मूल्य शिक्षा पर नियमित संवाद हों | इसके लिए सामूहिक रूप से हम रास्ते तलाशें और संवेदनशील और समझदार लोगों द्वारा मूल्य शिक्षा की जिम्मेदारी ली जाये | उन्होंने कहा कि आज की तकनीक सिर्फ गणना व डिजाईन तक सीमित नहीं है बल्कि कई महत्वपूर्ण निर्णय प्रक्रियाओं में भी शामिल है | ऐसे में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस को समानता, न्याय, आदि मूल्यों के अनुरूप डिजाईन करना आवश्यक है, मूल्यों के लिए हमें गांधीजी के विचारों को ही आधार मानना होगा| विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् शुभदा जोगलेकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षकों पर बच्चों के अकादमिक एवं व्यक्तित्व विकास की दोहरी जिम्मेदारी है | हमें बच्चों के लिए सामजिकता व खेल के अवसर सुनिश्चित करने चाहिए | बहुत से जीवन कौशल हम अनुभवों से सीखते हैं | बड़ों की जिम्मेदारी अगर बच्चों को प्यार करना है तो उनकी गलतियों पर ध्यान दिलाना भी बड़ों का ही काम है। हमें बच्चों की जिंदगी में चोट लगने, असफल होने, एक दूसरे के साथ शेयरिंग और केयरिंग की आदतों का समावेश करना चाहिए। सुप्रिया भारतीयन ने कहा कि हमें बच्चों को प्रकृति व संगीत से जोड़ना चाहिए | इससे बच्चे शांति और ख़ुशी से भर जाते हैं और अंततः वही बांटते हैं जो उनके पास होता है | उन्होंने कबीर के दोहों से लोगों का ध्यान बरबस ही मानव के अन्दर मौजूद सद्गुणों की ओर आकर्षित किया | इसके बाद स्व मनीष दत्त जी को याद करते हुए उनकी रचनाओं को प्रस्तुत किया | उनके साथ तबले में भारतीयन ने संगत दी।
संस्था की ओर से प्रथमेशसविता ने बताया कि फाउंडेशन शिक्षा, पर्यावरण व अन्य सामाजिक मुद्दों पर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है | संस्था द्वारा निधि जीवाश्रय को एनिमल रेस्क्यू वाहन प्रदान किया गया, छत्तीसगढ़ शाला में शिक्षिकाओं एवं शिक्षकों हेतु प्रसाधान कक्ष का निर्माण किया गया तथा बालिकाओं के प्रसाधन कक्ष में सुविधाएं प्रदान की गईं। फाऊंडेशन द्वारा मध्यप्रदेश के मंडला जिले में एवं बिलासपुर में शाला का संचालन भी किया जा रहा है। कार्यक्रम का गरिमापूर्ण संचालन शिवा मिश्रा ने किया व आभार प्रदर्शन महिमा मिश्रा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं में विवेक जोगलेकर, कमलाकर मूर्ति, मुदित मिश्र, राविन पुष्प, कुमार गौरव मिश्रा, विभा मिश्रा, कुसुम मिश्रा, बबलू दुबे, सिंग अनुपम एवं नीता बर्डे, निलोत्पल शुक्ला, संजीव दत्ता, दिघ्रस्कर, अनुराग बाजपेयी डी एन शर्मा, रश्मि शुक्ला, पुष्पा तिवारी, अनिल वैष्णव, वैष्णव, कामडे, उषा मिश्रा, अनुराग बाजपेयी इत्यादि थे।

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