नव समानुभूति, काव्य सभा लखनऊ का कविता समारोह सम्पन्न
नव समानुभूति, काव्य सभा लखनऊ का
कविता समारोह सम्पन्न
नव समानुभूति काव्य सभा लखनऊ। आज टाइप 3, 4/2 में कविता समारोह का आयोजन किया गया । कविता समारोह की अध्यक्षता श्री प्रवीण कुमार शुक्ल गोबर गणेश द्वारा की गई और मुख्य अतिथि के तौर पर ओज तेज की कवयित्री सुश्री नीतू सिंह चौहान जी रहीं। कविता समारोह का आरंभ मां सरस्वती जी को अध्यक्ष जी एवं मुख्य अतिथि के द्वारा माल्यार्पण और दीपक प्रज्ज्वलन से हुआ।
सुश्री भारती पायल जी ने मां सरस्वती जी की वन्दना से कार्यक्रम का आरंभ किया व सुमधुर स्वर में अपना गीत प्रस्तुत किया। जिसे उपस्थित जन समूह ने काफी सराहा।
हो विवश तुम तो गए हो पूजती मैं,
आश शुभ की फिर सजाए आज भोले।
मुस्कुराकर पुनः भाए आज भोजे।
तत्पश्चात् श्री मानस मुकुल त्रिपाठी जी के द्वारा आगंतुक साहित्यकारों का स्वागत माल्यार्पण कर किया गया। तदुपरांत अखिलेश त्रिवेदी शाश्वत, ने अपना काव्य पाठ प्रस्तुत किया ‘
‘यदि सम्मुख अन्याय के रही लेखनी मौन।
पांचजन्य फिर क्रान्ति का फूंक सकेगा कौन।।
श्री प्रवेन्द्र सिंह चौहान जी के द्वारा अपने विचार काव्य सभा में रखे गए जिन्हें उपस्थित जनों ने सराहना की।
श्री मानस मुकुल त्रिपाठी जी ने भगवान श्री राम पर व श्री शिव जी पर अनेक रचनाओं का सुमधुर वाचन किया — राम कण कण रमें मुक्ति के धाम है।
राम इस पार हैं राम उस पार है।
सुश्री नीतू सिंह चौहान जी ने अपना ओजस्वी काव्यपाठ प्रस्तुत किया जिसकी भूरि भूरि प्रशंसा की गई।
सुश्री रमा त्रिपाठी जी समीक्षक द्वारा भी बाबा तुलसीदास जी की चौपाई सुनाई गई।
श्री गोबर गणेश जी के द्वारा कई हास्य वयंग्य की रचनाएं सभा में प्रस्तुत की गईं।
उनकी नवीन रचना कि
दहेज मा हमका का दीहो।
जो दीहो अपने दामाद और बेटी का दीहो।
अत्यधिक पसंद की गई।
श्री विजय त्रिपाठी विजय जी के द्वारा भक्तिमय काव्य पाठ किया गया जिसमं अयोध्या काण्ड समेत अनेक रचनाएं थीं।
चल उतारें
लेखनी की आज पावन आरती।
धन्यवाद ज्ञापन श्री मानस मुकुल त्रिपाठी जी के द्वारा किया गया इस सूचना के साथ कि सभा अगली सभा तक स्थगित की जाती है।