हिंदी
हिंदी
हिंदी माथे की बिंदी है
जो है सबके जवान की।
भाषाओं को अपनाने की
पूरी मन में ठान ली ।।
मंदिर में हम कैसे पूजे
चोरी होती राम की
हिन्दी माथे की विंदी हैं
जो है सबके जुवान की।।
हिन्दू है हम भारतवासी
हिंदी लिखकर गाते हैं
जग में किसी से कम तो नहीं
माँ भारती हमें पुकारती ।।
नहीं घुसपैठ अच्छी अब
किसी भी भाषा की इसमें
हमारी आन है हिन्दी
हमारी जान है हिन्दी।।
देश की हालत कैसी हो गई
आज पड़ी है जानकी
मंदिर में हम कैंसे पूजें
चोरी होती राम की।।
फुट पाथो पर बच्चे सोते
आधी रोटी को है रोते
किसी तरह से दिन कट जाता
वाट जोहते शाम की।।
मंत्री मंत्री से झगड़ा है
कोई कुर्सी से जकड़ा है
आज गरीबी दूर करेंगे
थोड़ी देर है प्राण की।।
यहाँ मिलावट वहाँ मिलावट
भाषा की ये कैसी झंझट
हिंदी माथे की बिंदी है
जो है सबके जवान की।।
हमारा मान है हिंदी
हमारा गान है हिन्दी
हमारी शान है हिन्दी
हमारी आन है हिंदी।।
तुम्हें आजादी मिली है यारों
जैसा करना है कर डालो
पर बाजी तुम हार न जाना
सबके जीवन प्रान की।।
भारत के माथे की बिन्दी
हिन्दी सबके शान की
ऐसी दुनियाँ में जीना है
कैसे तना रहे सीना है
तन मन धन से काली बोलो
जय बोलो हनुमान की ।।
हमारी जान है हिन्दी
हमारी शान है हिन्दी
हमारा मान है हिन्दी
हमारा गान है हिन्दी ।।
काली दास ताम्रकार काली जबलपुरी
फिल्मी गीतकार