मतदान और षड्यंत्र
(मतदान और षड्यंत्र )
देश के नेताओं की गलत टिप्पणी से लोकतंत्र के महायज्ञ मतदान पर कितना असर ?
राष्ट्र की एकता और अखंडता को खंडित करने के लिए एक व्यक्ति या नेता का ओछी मानसिकता का वाक्य ही काफी होता है क्या ?
हम हमारे इतिहास पर गर्व करते हैं सनातन भारतवर्ष पर गर्व करते हैं!
बड़ा सवाल यह है कि हम मानसिक रूप से कितने मजबूत है?
हमारी एकता को अखंडता को कौन तोड़ सकता है? जवाब में होगा एक ओछी मानसिकता का वाक्य!
बड़ा सवाल सोचने पर मजबूर करता है कि
यही सनातन भारत के महापुरुषों की धरा की धारणा है जो छोटी सी चिंगारी ही विस्फोट का काम करती है!
क्या भारत वर्ष विश्व गुरु की पदवी पर सनातन से विराजमान था वह ऐसी विचारधाराओं से टकराया नहीं होगा ?
या प्राचीन भारत के लोग विचारों के रूप में शुद्ध और सात्विक ही सोचते थे?
या गलत विचारधारा के लोगों को दंडित किए जाने के प्रावधान थे?
फिर भारतवर्ष ने इतनी ऊंचाइयां कैसे पाई होगी!
खैर यह प्राचीन बातें हैं मैं वर्तमान पर आती हूं !
क्या हमारा भारत वर्ष राष्ट्रहित की अखंड साधना पर आगे बढ़ रहा है ?
और राष्ट्र साधना के पावन पर्व पर सभी मिलजुल कर साथ दे रहे हैं और कुछ वर्षों से चैन की सांस ले रहे हैं!
विचारणीय विषय यह है कि किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा गलत शब्दों का प्रयोग करने पर जिम्मेदार पूरी सरकार को ठहरना कहां तक उचित है ?
आपसी जनमानस में विद्वेष पैदा हो जाना या पार्टी के खिलाफ खड़े हो जाना?
मैं किसी पार्टी विशेष का पक्ष न रखकर एक तरफा राष्ट्रहित की साधना और सोच पर प्रश्न कर रही हूं!
कि हमारे देश के लोगों की मानसिक धारणाएं इतनी कमजोर है जो छोटी-मोटी विचारधाराओं के कारण देश हित पर चल रही एकता की मशाल फड़फड़ाने लगती है और राष्ट्र विरोध में वह व्यक्ति आकर खड़े हो जाते हैं जिनका प्रथम दायित्व राष्ट्र के लिए खून बहाना था!
उन लोगों के अपने अधिकार राष्ट्र साधना के लिए खत्म किए गए हैं!
वह समाज अपने अधिकारों की मांग भी नहीं करता है वही अचानक राष्ट्र विरोध में खड़ा हो जाता है?
आखिर कब तक?
राष्ट्र विरोध के नतीजे क्या होंगे सिर्फ चुनावी शब्दबाण चुनाव के बाद सब शांति!
लेकिन अहित राष्ट्र का होगा यह शाश्वत सत्य है !
इसलिए छोटे-मोटे बयानों में अपने देश की एकता को कमजोर करने के कार्य हमें कभी नहीं करने चाहिए_
पार्टीयां आती रहेगी ,बनती रहेगी ,बिगड़ती रहेगी अनेक दल आएंगे अनेक नेता आएंगे लेकिन यह समय राष्ट्रहित साधने का समय है!
यहां पर हमें देखना नहीं है हमारा हर एक कदम राष्ट्र को मजबूत बनाने में आगे बढ़ाना होगा !
बहुत ही संवेदनशील समय है आप लोगों को नहीं समझ आ रहा होगा लेकिन कांच की तरह स्पष्ट है कि आतंकवाद और अशांति फैलाना जिन लोगों का काम है उन लोगों को देश की बागडोर हथियानी है उनका एक ही मकसद है एक तरफा वोटिंग और यह काम हमारे देश के लोगों को अभी समझ नहीं आया तो कभी समझ में नहीं आएगा !
वक्त बहुत कम है राष्ट्र हित में मतदान करें अगर किसी नेता ने ओछे बयान दिए हैं तो पूरी पार्टी को लपेटे में ना लेकर या तो उसे रूबरू होकर स्पष्ट करे……..
वैसे गलत बयान देने वाले नेताओं को एकांत में ले जाकर बातचीत की जा सकती है कि वह बिका तो नहीं ?
कहीं राष्ट्र से सौदा तो नहीं किया ?
कहीं पार्टी को दाव पर तो नहीं लगाया?
किसी समाज पर ओछी टिप्पणी करने का मकसद क्या है?
उनके यह शब्द मतदान जैसे संवेदनशील समय में ही क्यों?
यह समय ऐसा है जब पार्टी कुछ भी एक्शन करती है तो अलग-अलग समुदाय के लोग अपने जाति के नाम पर बगावत कर देंगे इसलिए लाजमी है पार्टी चुनाव के संवेदनशील समय में चुप है तो उसका कारण है चुनाव!
मैं देख रही हूं कि जो देश हित के लिए काम करते हैं वो षडयंत्रों का शिकार हो जाते है हमारा कर्तव्य बनता है कि हम सब हर षड्यंत्र को पहचाने और देश हित में मतदान करें!
सुनीता शेखावत