।।मां नर्मदा।।
पुण्य सलिला सांकरी,
पाप विनाशनी मां नर्मदा।
शिव मानसपुत्री रुद्रदेहा,
विंध्या का वरदान मां नर्मदा।।१
सतपुड़ा की शक्ति त्रिकुटा,
जनमानस की भक्ति मां रेवा।
मैकलराज की सुंदर पुत्री,
शांत,निर्मल तीव्र प्रवाहिनी तमसा।।२
तेरा जल कल कल निर्मल पावन,
दुग्ध अमृत धारा का आचमन।
रेवा तेरे जल के कण कण में,
शिव रूद्र का वास निरंतर।।३
अमृता का हर कंकड़ शंकर शंकर,
जल में निर्मित शालिग्राम पाहन।
तेरे पुण्य घाट पर धूनी रमाए,
ऋषि मुनि महान देवता गण।।४
मोक्षदायिनी तीव्रवाहिनी दशाना,
परिक्रमा करता तेरी संसार सारा।
अमरकंटक से निकलती महार्णवा
अरब सागर में हैं तेरा विश्राम न्यारा।।५
डॉ.विजय पाटिल
शिक्षक सह साहित्यकार
जिला बड़वानी मप्र