बटवृक्ष
बटवृक्ष कोमल काली चिकनी मिट्टी और नहि रक्षित उद्यानों में। फिर भी देखा उगते तुमको पत्थर और चट्टानों में।। स्रोत नहि पानी का कोई नहि खाद की कोइ आस कभी। नदी नहर नाले नहि कोइ नहि माली कोइ पास कभी। लेती है परीक्षा तेज धूप नहि दया तनिक आसमानों में। [...]