विविध काव्य रंगों से सजी रही कल्पकथा काव्यगोष्ठी
“!! विविध काव्य रंगों से सजी रही कल्पकथा काव्यगोष्ठी !!”
कल्पकथा परिवार की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह ने बताया कि हिन्दी भाषा, सनातन संस्कृति, और सद साहित्य, के सम्मान हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था द्वारा रविवार दिनाँक १३ अप्रैल २०२५ को अपराह्न ४.३० बजे से आयोजित १९२वीं ऑनलाइन काव्यगोष्ठी विविधतापूर्ण काव्य रचनाओं से सजी रही।
वाराणसी उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार पण्डित श्री अवधेश प्रसाद मिश्र मधुप जी की अध्यक्षता, आशुकवि श्री भास्कर सिंह “माणिक” जी, पवनेश मिश्रा, के संचालन के कार्यक्रम का शुभारंभ दीदी श्रीमती राधा श्री शर्मा जी द्वारा गुरु वंदना, गणेश वंदना, एवं सरस्वती वंदना, के साथ हुआ।
आनंद उमंग और उल्लास की शाब्दिक गंगा में गोते लगाते हुए हनुमान जी के जीवन पर आधारित प्रश्नावली, के साथ काव्य रचनाओं के आयोजन में हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, लद्दाख, पश्चिम बंगाल, के कलमकारों ने की सृजन ऊर्जा से प्रवाहमान रही।
कार्यकम में ऊषा पाण्डेय “शुभांगी” जी, कोलकाता (पश्चिम बंगाल), प्रमोद पटले जी, रायपुर (छत्तीसगढ़), आ. शालिनी बसेड़िया दीक्षित जी, प्रयागराज (उप्र), रामदेव शर्मा “राही” जी, छाता मथुरा (उप्र), देवांश उपाध्याय “देव” जी, मुंबई (महाराष्ट्र), राम बहाल सिंह “बहाल कवि” जी, वाराणसी (उप्र), अवधेश प्रसाद मिश्र “मधुप” जी, वाराणसी (उप्र), नेहा शर्मा “नेह” जी, जयपुर (राजस्थान), ज्योति राघव सिंह जी, चोगलमसर लेह (लद्दाख), दुर्गादत्त मिश्र “बाबा” जी, भोरे गोपालगंज (बिहार), भास्कर सिंह “माणिक” जी, कोंच जालौन (उप्र), चंदा देवी स्वर्णकार जी, जबलपुर (मप्र), भगवानदास शर्मा “प्रशांत” जी, इटावा (उप्र), रमेशचंद्रा गौतम जी, शामली (उप्र), डॉ श्रीमती मंजू शकुन खरे जी, दतिया (मप्र), श्रीमती राधा श्री शर्मा जी, पवनेश मिश्रा, ने काव्य पाठ किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में अवधेश प्रसाद मिश्र मधुप जी ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए सहभागी रचनाकारों को भविष्य के मंगलकामनाएं दी। कार्यक्रम के अंत में दतिया मध्य प्रदेश से जुड़ी डॉ श्रीमती मंजू शकुन खरे जी ने जल संरक्षण हेतु संकल्प दिलवाने के पश्चात “सर्वे भवन्तु सुखिन:” शान्ति पाठ के साथ सभी का आभार व्यक्त किया।