“कल्पकथा काव्यगोष्ठी में हास्य और श्रृंगार रस बरसा”
!! “कल्पकथा काव्यगोष्ठी में हास्य और श्रृंगार रस बरसा” !!
कल्पकथा साहित्य संस्था के संस्थापक पवनेश मिश्रा ने बताया कि दिनांक २३ फरवरी २०२५ रविवार को आयोजित साप्ताहिक ऑनलाइन काव्यगोष्ठी कार्यक्रम में हास्य और श्रृंगार रस की रचनाओं ने रंग जमा दिया।
कल्पकथा संस्थापक श्रीमती राधा श्री शर्मा द्वारा काव्य गोष्ठी के पूर्व निर्धारित “हास्य/श्रृंगार रस” विषय के कार्यक्रम का शुभारंभ, गुरु वंदना, गणेश वंदना, एवं माता सरस्वती वंदना से किया। कार्यक्रम संचालन की बागडोर कोंच उप्र के आशुकवि श्री भास्कर सिंह माणिक जी ने सम्हाली।
काव्यगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रदेशों हरियाणा, उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, से जुड़े कवियों ने शानदार काव्य पाठ करते हुए सारा वातावरण सुवासित कर दिया।
कार्यक्रम में श्री नन्द किशोर बहुखंडी जी, देहरादून (उत्तराखण्ड), डॉ ऊषा पाण्डेय “शुभांगी” जी कोलकाता, (प.ब.), श्री विजय रघुनाथराव डांगे जी नागपुर (महाराष्ट्र), श्री श्रीपति रस्तोगी जी, लखनऊ (उप्र), श्री दुर्गादत्त मिश्र “बाबा” जी, भोरे गोपालगंज (बिहार), श्री रमेश चंद्रा गौतम जी, शामली (उप्र), श्री भास्कर सिंह माणिक जी, कोंच (ऊप्र), श्रीमती मंजू शकुन खरे जी, दतिया (मप्र), श्रीमती कृष्णा देवी शर्मा “मम्मी” जी, रुंधी, पलवल (हरियाणा), श्रीमती मेघा अग्रवाल जी, नागपुर (महाराष्ट्र), श्रीमती राधा श्री शर्मा जी, पवनेश मिश्रा ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में कविता पाठ किया।
सभी ने समवेत स्वर में सामाजिक उत्तरदायित्व, कन्या शिक्षा, स्त्री सम्मान, एवं सद साहित्य को जन – जन तक पहुंचाने में सहभागिता को बल देने की अनुशंसा की गई।
कार्यक्रम का समापन कल्पकथा संस्थापिका दीदी श्रीमती राधा श्री शर्मा जी द्वारा नियमानुसार “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना एवं सभी का आभार व्यक्त कर किया गया।