जब आप को मिल जाये
जब आप को मिल जाये
पद, पुरस्कार और पदोन्नति,
उनके बारे में भी सोचें जो इस सफर में आपके साथ थे, आपको सफलता मिलते ही भूला दिये गये या जो स्वयं दूर हो गये।
जब आप स्वागत-समारोह में हों,
प्रतिनिधि-मंडल में अथवा किसी आयोग में,
उनके बारे में भी सोचें जो
जो कर गए व्यवस्था आपके सुख की, आपके सम्मान की या जो मर गये देश निर्माण में।
जब आप हो चुके हों निर्वाचित,
और जनसमूह जयजयकार कर रहा हो आपकी,
उनके बारे में भी सोचें जो इस निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल थे, चाहे वो मतदाता हो, कर्मचारी हो या हो सुरक्षाकर्मी ।
जब आप प्रफुल्लित हों कि आप जा रहे हैं
सभापति के समक्ष नेताओं के साथ,
उनके बारे में भी सोचें जो
खड़े हैं सरहद पर, या शहर, गांव या नगर की कानून व्यवस्था में लगे भूल गये आज दिवाली या होली है।
जब आपकी अगवानी की जा रही हो
महानगर के बड़े हवाई अड्डे पर,
उनके बारे में भी सोचें जो जो चलते हैं गड्डे भरी सड़कों पर ।
जब बारी आ जाये आपकी
माइक पर संबोधित करने की,
जब टीवी कैमरे केन्द्रित हो जायें आपकी तरफ़,
उनके बारे में भी सोचें जो मर गये।
जब आपकी हैसियत बन जाये ऐसी
कि आप दे सकते हों प्रमाणपत्र,
आदेश और अनुमति,
उनके बारे में भी सोचें जो वास्तव में जरूरतमंद है।
जब छोटे क़द की वह वृद्ध महिला
आये आपके पास
ज़मीन के अपने छोटे से टुकड़े का विवाद लिये,
उनके बारे में भी सोचें जो मर गये ऐसे संघर्ष में बिना कुछ पाये।
देखिये उनकी तरफ़ जिनके शरीर पर कपड़े नहीं,
जिन्हें घसीटा गया है,
जो लथपथ हैं ख़ून में,
जिन्होंने पहन रखा है चोगा फटा-चींटा,
जिन्हें डुबोया गया है नांद में,
दिये गये हैं बिजली के झटके,
जिनकी निकाल ली गयी हैं आंखें,
काट ली गयी है जीभ,
जिन्हें छलनी कर दिया गया है गोलियों से,
जिन्हें फेंक दिया गया है सड़कों के किनारे,
उन गड्ढों में, जिन्हें खोदते आये वे ही,
जिन्हें दफ़्न कर दिया गया सामूहिक कब्रों में,
या कि फेंक दिया गया ज़मीन पर यों ही
जंगली पौधों की खाद बनने के लिये :
आप प्रतिनिधित्व करते हैं उन सबका।
वे खड़े हैं सरहद पर, जो लगे हैं सुरक्षा व्यवस्था में, कर रहे हैं सफर कठिनाई भरे रास्तों पर, अपने अधिकार को पाने की आशा में जी रहे हैं या जो मर गये हैं आपके विजयपथ को बनाने में।
उन्होंने ही चुना था आपको
अपने प्रतिनिधि के तौर पर।
शिवदत्त डोंगरे खंडवा