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साहित्यिक संस्था साधना निकुंज एवं अनुगूंज के संयुक्त तत्वावधान में लोकप्रिय गीतकार पद्मश्री गोपाल दास नीरज की जयंती

लोकप्रिय गीतकार गोपाल दास नीरज की जयंती पर संगोष्ठी
कायमगंज,,, साहित्यिक संस्था साधना निकुंज एवं अनुगूंज के संयुक्त तत्वावधान में लोकप्रिय गीतकार पद्मश्री गोपाल दास नीरज की जयंती पर कृष्णा प्रेस परिसर सदवाड़ा में आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने उनके कालजयी साहित्य पर चर्चा की। प्रोफेसर रामबाबू मिश्र रत्नेश ने कहा कि मुद्दतों हुस्न और इश्क शराब और शबाब की अमराईयों में रमण करने के बाद नीरज जी की कविता में विद्रोही तेवर दिखे दार्शनिक मुद्रा बनी एवं मानवीय संवेदना को स्वर मिले …..
अब तो मजहब कोई एक ऐसा चलाया जाए।
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए।
मेरे दुख दर्द का तुझ पर हो कुछ असर ऐसा ।
मैं रहूं भूखा तो तुझ पर भी न खाया जाए।। प्रख्यात गीतकार पवन बाथम ने कहा कि काव्य मंचों पर नीरज जी के साथ जो अनुभव साझा किये वह मेरे जीवन की अमूल्य निधि हैं ।नीरज जी नवोदित गीतकारों को प्रोत्साहित करते थे और कई बार मुझे अपने साथ राष्ट्रीय मंचों पर ले गए उनके गीत सुनकर युवा हृदय में बिजली सी दौड़ जाती थी ।
क्या शबाब था के देख आइना सिहर उठा ।
थाम कर जिगर उठा के जो मिला नजर उठा।। अलीगढ़ के आसपास के कार्यक्रमों में आदरणीय नीरज जी हमें अपने स्कूटर पर बैठा कर ले जाते थे। जब हम कहते थे कि हमको ठंड लग रही है तो कहते आगे हम बैठकर गाड़ी चला रहे हैं और हम पूरी हवा रोके हुए हैं तुम्हें कहां से ठंड लगेगी। प्रोफेसर कुलदीप आर्य ने कहा कि भारत भूषण ,रमानाथ अवस्थी ,बलवीर सिंह रंग ,सोम ठाकुर जैसे दिग्गज गीतकारों के साथ नीरज कवि मंचों के बेताज बादशाह रहे। गोष्ठी में पूर्व प्रधानाचार्य आरके दुबे ,अहिबरन सिंह गौर ,प्रधानाचार्य शिवकांत शुक्ला ,जेपी दुबे , डॉ सुनीत सिद्धार्थ मनीष गौड़, अनुपम मिश्रा , वी एस तिवारी,शिवकुमार दुबे आदि ने कहा कि नीरज जी कविता प्रेमियों के दिलों में बसते हैं और वह अपने गीतों के माध्यम से अमर रहेंगे।

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