नवरात्र का पर्व जागरण एवं साधना का पर्व-हिमान्शु महाराज
नवरात्र का पर्व जागरण एवं साधना का पर्व-हिमान्शु महाराज
रतनपुर-हमारे सनातन परंपरानुसार प्रत्येक वर्ष चार नवरात्र होती है।चैत्र शुक्ल बासंती और आश्विन शुक्ल शारदीय दो प्रकट नवरात्र और आषाढ शुक्ल तथा माघ शुक्ल पक्ष मे दो गुप्त अर्थात कुल चार नवरात्र मे आदिशक्ति मा जगदंबा की विधिवत पूजा एवम उपासना की जाती है।नवरात्र का पर्व जागरण व साधना का पर्व है।उक्त विचार सिद्ध शक्तिपीठ मा महामाया मंदिर रतनपुर मे आयोजित देवीभागवत प्रवचन के दौरान कथावाचक श्रद्धेय पण्डित डाक्टर सत्यनारायण तिवारी हिमान्शु महाराज ने व्यक्त किए। उन्होने रतनपुर मे विराजित मा महामाया,तुलजा भवानी ,रामटेकरी के रामदरबार, गिरिजाबंध हनुमान, भैरवजी, लखनीदेवी, भगवान जगन्नाथ और कलमीटार मे विराजित मा महामाया को प्रणाम करते हुए आध्यात्मिक नगरी रतनपुर को क्रमशः हीरापुर मणिपुर माणिकपुर और वर्तमान मे रतनपुर अर्थात सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग चारो युगो की ऐतिहासिक चतुर्युगी नगरी बतलाया। उन्होने भगवान द्वारा हयग्रीव नामक दैत्य तथा दैवीय शक्ति से मधु कैटभ के वध की चर्चा भी की।भागवत के कथा के प्रारंभ मे यजमान श्री राधेश्याम शर्मा, श्रीमती शकुन्तला शर्मा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष श्री सतीश शर्मा सपत्नीक एवं ट्रस्ट के अन्य देवीभागवत गोपाल जी एव व्यास कथावाचक डाक्टर सत्यनारायण तिवारी को बाजे गाजे कीर्तन मण्डली के मा महामाया का दर्शन कराते हुए व्यासपीठ पर आसीन कराया। आचार्य अनुभव शर्मा, पंडित नीरज तिवारी व पंडित मुकेश शर्मा ने विधिवत पूजन कराया। उक्त कार्यक्रम मे मैनेजिंग ट्रस्टी संतोष अरूण शर्मा ट्रस्टी संतोष शुक्ला, पंडित नान्हे महाराज, श्री ए पी त्रिपाठी पंडित सुरेश
शर्मा ,सौरभ शर्मा रमेश यादव रामसिंह व खूबलाल साहू सहित सैकडो श्रद्धालुओ ने भागवत कथा का रसपान किया।इस पर्व मे भक्तो के द्वारा कुल 29450जिसमे घृत ज्योति 3200तेल ज्योति 26150मनोकामना प्रज्ज्वलित किए गएह है।इसके अतिरिक्त 510घृत तथा 1301तेल ज्योति आजीवन प्रज्ज्वलित किए जा रहे है।