हिंदी दिवस पाक्षिकोत्तर कार्यक्रम के नौवें दिन अरविंद अकेला के रचनाओं पर संवाद
हिंदी दिवस पाक्षिकोत्तर कार्यक्रम के नौवें दिन अरविंद अकेला के रचनाओं पर संवाद
औरंगाबाद 25/9/24
जिला मुख्यालय औरंगाबाद की महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में हिंदी दिवस पाक्षिकोत्तर कार्यक्रम के नौवे दिन स्वतंत्र पत्रकार,कवि एवं लेखक अरविंद अकेला के साहित्यिक परिवृत पर संवाद का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र, महामंत्री धनंजय जयपुरी के आह्वान पर संस्था के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने संवाद करते हुए बताया कि अरविंद अकेला की कर्मभूमि और कार्यक्षेत्र औरंगाबाद रही है।औरंगाबाद जिले से उन्होंने शिक्षा दीक्षा ग्रहण किया और स्वतंत्र पत्रकारिता करते हुए पूरे बिहार में औरंगाबाद का नाम रौशन किया।आओ मतदान करें,प्रेम मंजरी,तन्या,नवधा भक्ति,श्रृंगार सौरभ, शांतिदूत, मेरा वतन मेरे वीर,कस्तूरी तिलक,एक गुंजती आवाज,उनकी प्रकाशित साझा संकलन की रचनाएं हैं। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में उनकी सैकड़ो रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं।पांच दर्जन से भी अधिक साहित्यिक सम्मान एवं पुरस्कार मिल चुके हैं।राजकीय,राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। अकेला जी की रचनाएं सारगर्भित होती हैं।अपनी रचनाओं में सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक मुद्दो को केंद्रीभूत कर पाठकों के सामने पहुंचाते हैं।कम शब्दों में बड़े से बड़े मुद्दों को वे संजोकर साहित्यिक भाषा में परोसने का कार्य करते हैं। हिंदी भाषा उनके कारण विकसित हुई।लोगों ने हिंदी को जानने समझने के लिए उनकी रचनाओं को माध्यम बनाया। आज के परिवेश में उनके कारण हिंदी भाषा का बहुत ही विकास हुआ है। झारखंड प्रदेश से निकलने वाली राष्ट्रीय नवीन मेल में भी वे उप संपादक का कार्य कर चुके हैं हिंदी साप्ताहिक उत्तर बिहार में भी उनकी पत्रकारिता हमेशा गूंजायमान रहती थी। दिव्य रश्मि, चौथी वाणी में जिला संवाददाता के रूप में अभी वे कार्य करते हुए साहित्यिक धारा से लोगों को जोड़ने का प्रयास करते हैं।ऑनलाइन कवि सम्मेलनों में भी उनकी प्रमुख भूमिका होती है।नए-नए रचनाकारों की रचनाओं को वे परिष्कृत कर आमजन के लिए सुलभ कराते हैं।