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आधुनिक काल का हिन्दी साहित्य

आधुनिक काल का हिन्दी साहित्य

आधुनिक काल के साहित्य कार आधुनिक कवियों कथाकारों और
साहित्यकारों से संपन्न सुशोभित है,
यह काल कई चरणों में विभाजित है।
भारतेंदु युग, से प्रारम्भ द्विवेदी युग, छायावाद, प्रयोगवाद, प्रगतिवाद नईकविता, अकविता, समक़ालीन कविता हिंदी साहित्य के चरण हैं।

प्रथम चरण में भारतेंदु हरिश्चंद्र,
द्वितीय चरण द्विवेदी द्वय युग है,
छायावाद के प्रसाद, पंत, निराला, महादेवी वर्मा आदि चार कवि हैं।
जय शंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत
सूर्य कांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी
वर्मा इन चारों का छायावादी युग है,
हिन्दी साहित्य के उत्कर्ष का युग है।

सांस्कृतिक, राजनैतिक, सामाजिक
आंदोलन हिंदी काव्य में नई चेतना तथा नये विचारों को जन्म देते हैं,
और बहुआयामों को स्पर्श करते हैं।
धर्म, दर्शन, कला एवं साहित्य आदि
दृष्टिकोणों का आविर्भाव करने वाले,
अयोध्यासिंह हरिऔध, मैथिलीशरण
गुप्त प्रतापनारायण मिश्र आदि थे।

सियाराम शरण गुप्त, रामचंद्र शुक्ल,
श्याम नारायण पांडेय, सोहनलाल द्विवेदी, सुभद्राकुमारी चौहान और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’हैं।
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’, नंददुलारे बाजपेई अनेकों कवि कथाकार हैं,
आदित्य ऐसे ही अनेकों साहित्यकार,
कवि हिंदी साहित्य के सृजनकार हैं।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ

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