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गीता मानस एवं मधुकर काव्यकलश प्रेरणादायक कृति

 

वर्तमान समय में सनातन की चर्चा जोरों पर है व सनातन संस्कृति का ध्वज तभी लहराया जा सकता है जब हम अपने धार्मिक ग्रंथों का चिंतन मनन करेंगे। इसी कड़ी को सरल सहज रूप में मानस पटल पर अंकित करने हेतु संस्कारधानी जबलपुर के काव्य मनीषी डॉ उदय भानु तिवारी ने गीता मानस की रचना की है।
श्रीमद्भागवत गीता को विश्व का दिशा दर्शक कहा जाता है इसमें 700 श्लोक है। भागवत गीता मनुष्य के जीवन में मोह और शोक को नाश करने के लिए मन की तरंग है। जन्म एवं मृत्यु की तरंग है।इन छः तरंगों से मुक्त को भगवान कहते हैं और इस मुक्ति के मार्ग को सरल बनाने का काम डॉ उदय भानु तिवारी ने गीता मानस को जन मानस की भाषा में रचित कर किया है उक्त बात द्बारका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी सदानंद सरस्वती जी ने कहा। यह परम सौभाग्य की बात है कि कृति का लोकार्पण शंकराचार्य जैसी आध्यात्मिक और धर्म जगत की शीर्ष हस्ती ने किया। जो की भगवत कृपा ही है।
डॉ उदय भानु तिवारी जी रचित गीता मानस में कई शोधपरक बिंदु समाहित किए गए हैं। इस पुस्तक में अनेक ग्रंथों के माध्यम से यह सिद्ध किया गया है कि उनकी दोनों कृतियां गीता मानस एवं मधुकर काव्यकलश सिर्फ पठनीय मनोरंजक नहीं है अपितु इसमें लोक परलोक के बीच का संतुलन निहित है और इन कृतियों में मानव सेवा और विश्व बंधुत्व की दिशा में कर्म कर्तव्य है।

सौजन्य – कवि संगम त्रिपाठी
संस्कारधानी जबलपुर मध्यप्रदेश

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