हैं_अनेक_विकल्प_लें_नया_संकल्प
हैं_अनेक_विकल्प_लें_नया_संकल्प
सुनती हो!!! आज 12वीं का रिजल्ट आया है पड़ोसी का बेटा 90 % लाया है और एक तुम्हारा लाड़ला!!! ले दे के 75% तक ही पहुंच पाया। तुम्हारे लाड़ प्यार ने बिगाड़ दिया है पूरे समय हांकी की स्टिक से चिपका रहता है।
पड़ोसन बता रहीं थी उनकी बिटिया का आई आई टी में चयन हो गया है। और एक हमारी बेटी पिछले दो साल से पढ़ रही है पर वहीं की वहीं है उसका तो मन पढ़ने में लगता ही नहीं पूरे समय पेंटिंग करती रहती है।
जब भी कोई परीक्षा परिणाम आता है तो माता पिता अपने बच्चे के नतीजे को लेकर कुछ इसी तरह चर्चा करते हैं। अकसर दूसरे से तुलना करते हैं और जाने – अनजाने में स्वयं कुंठित होते हैं और बच्चे को भी कुंठा की ओर धकेलते हैं। परिणामतः बच्चे में निराशा घर कर जाती है। कभी कभी ऐसी बातों का परिणाम बहुत भयावह होता है। असफलता से निराश बच्चे कुंठित हो अप्रिय रास्ता चुन लेते हैं।
किसी भी विद्यार्थी की सफलता के पीछे उसके स्वयं की मेहनत ,शिक्षक का मार्गदर्शन के साथ साथ माता – पिता की अहम भूमिका होती है। हर माता पिता अपने बच्चे की भविष्य को लेकर एक सपना संजोते हैं। अपने बच्चे को भीड़ से अलग एक विशिष्ट विशेषतापूर्ण देखना चाहते है। स्वयं जो हासिल नहीं कर पाते ,उसे बच्चे के माध्यम से प्राप्त करना चाहते हैं। अपना ख़्वाब पूरा करने के लिए बच्चे पर बहुत अधिक पढ़ने के लिए दबाव बनाते हैं। जिसका कभी कभी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है बच्चा अतिरिक्त पढ़ाई के बोझ तले दबते जाता है और उसे पढ़ाई बोझ लगने लगता है। तनाव के कारण उसकी जितनी क्षमता होती है उस क्षमता को भी वह हासिल नहीं कर पाता।
एक शिक्षक होने के नाते मेरा सभी माता -पिता , पालकों से अनुरोध है कि एक सुंदर सपना संजोना , सपने को साकार करने की कोशिश करना अच्छी बात है परंतु अपने सपने को अपनी इच्छाओं को बच्चे पर बलात थोपना अच्छी बात नहीं है। केवल डॉक्टर , इंजीनियर ऑफिसर बनना या कोई सरकारी नौकरी पाना ही कैरियर नहीं है। कैरियर के बहुत सारे !!!!!रास्ते हैं। आप अपने बच्चे के भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानिए उसकी रुचि को समझिए और उसे उस दिशा में बढ़ने में सहायक बनिए।
परीक्षा में प्राप्त अंक अंतिम नहीं होता। आपका बच्चा परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हुआ या सर्वोच्च प्राप्तांक हासिल नहीं कर पाया इसका अर्थ यह नहीं कि बच्चा कमजोर है। हर किसी की अपनी क्षमता होती है । हर बच्चे में कोई न कोई हुनर होता है। हो सकता है बच्चे की रुचि गणित,विज्ञान में कम हो सामाजिक विज्ञान में अधिक हो। उसकी रुचि किसी खास खेल में हो। संगीत , नृत्य ,पेंटिंग , लेखन जैसे किसी कला में हो। जो उसे अलग पहचान देता हो । करियर के अनेकों रास्ते हैं।
परीक्षा में बच्चा असफल हो गया या आशा अनुरूप अंक हासिल नहीं कर पाया ऐसी स्थिति में आपकी भूमिका एक समझदार पालक की होनी चाहिए। बच्चे को तिरस्कार नहीं प्रेम और सहनुभूति की आवश्यकता होती है ।उसे ऐसे व्यक्ति की तलाश होती है जिससे वह अपना दुःख बांट सके। आप बच्चे के दुख में सहभागी बनिए। बच्चे को एकांत में मत छोड़िए। उससे बात करिए । कमियों को तलाशिए। उसको दूर करने का उपाय खोजिए ।
ऐसे लोगों की सफलता पर चर्चा करिए जो विद्यालयीन शिक्षा में तो असफल रहे पर उन्होंने अलग अलग क्षेत्रों में सफलता पाई। प्रसिद्ध संस्कृताचार्य लघु सिद्धांत कौमुदी के रचियता वरदराज , गुरुवर रविंद्र नाथ टैगोर , प्रसिद्ध उद्योगपति धीरू भाई अंबानी , फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन , क्रिकेट के सरताज सचिन तेंदुलकर , माइक्रो सॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स , महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ऐसे अनेकों विभूतियां हैं जो विद्यालयीन शिक्षा या कैरियरकी शुरुआत में असफल रहे परंतु बाद में अपनी जिद्द और जुनून से कामयाबी की ऐसी इबारत लिख दी जो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया। आप अपने स्वयं की असफलता और सफलता की रोचक किस्से सुनाइए । अपने बच्चे को अवसाद के गर्त में जाने से रोकिए।
अवसादग्रस्त बच्चों के कुछ लक्षण होते हैं जैसे – बहुत बोलने वाले का एकदम से मौन हो जाना , या बहुत अधिक बोलना , खाना कम कर देना या बहुत अधिक खाना ,भीड़ से बचना ,एकांत में रहना , गुमसुम रहना , चेहरे में कोई रौंनक न होना , उखड़ा उखड़ा दिखना , छोटी छोटी बात में चिड़चिड़ाना , झल्लाना , चिल्लाना , निराशावादी , नकारात्मक बातें करना , कुल मिलाकर असामान्य व्यवहार। आपके बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत सचेत हो जाइए और ध्यान दीजिए।
परीक्षा के अंक बुद्धिमता का अंतिम पैमाना नहीं या कमजोरी का द्योतक नहीं है। जीवन मूल्यवान है । हारना गलत नहीं है , हार मान लेना गलत है। परीक्षा परिणाम अंतिम नहीं है , एक रास्ता बंद हुआ तो क्या और भी हैं रास्ते। पूर्ण विराम अंत नहीं है एक नए वाक्य का आरंभ है ।
श्रीमती वर्षा ठाकुर ,
प्राचार्य ,
शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जुनवानी ,भिलाई
जिला दुर्ग -छत्तीसगढ़