संगम और प्यासा हिंदी की है आशा
संगम और प्यासा
हिंदी की है आशा
आध्यात्मिक महाकुंभ की धूम के साथ संस्कारधानी जबलपुर को हिंदी साहित्य महाकुंभ का गौरव दिया है, आदरणीय संगम त्रिपाठी जी के रथ के सारथी बने हैं आदरणीय गणेश प्यासा जी।
देश प्रदेश एवं नगर के साहित्यिक साधकों को विनत भाव से सम्मानित करके निस्वार्थ निस्पृह निर्विकार रूप से मजबूत स्तंभ स्थापित किया है।
देश के कोने कोने से आये साहित्य प्रेमी बड़े ही स्नेह भाव से रचना पाठ एवं सम्मान से आनंदित हो रहे थे।
प्रातः 11 बजे से देर रात्रि तक कड़ी मेहनत से संजोया है संगम जी और प्यासा जी ने, बहुत बहुत बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं आप द्वय एवं आपकी समर्पित टीम को ।
आशुतोष तिवारी जबलपुर मध्यप्रदेश