मेरी हिन्दी
माथे पर बिन्दी सी सुसज्जित मेरी हिन्दी,
मृदुभाषी,शर्मीली दुल्हन सी मेरी हिन्दी,
हिन्दुस्तान की धरोहर मेरी हिन्दी,
नित नूतन गति पर आरोहण मेरी हिन्दी,
संस्कृत माता की दुलारी मेरी हिन्दी,
कोस बदलती बानी प्यारी मेरी हिन्दी,
निज प्रतिभा जग में फैलाती मेरी हिन्दी,
अलग सबसे अनोखी इतराती मेरी हिन्दी,
थोड़ा सरल तो थोड़ी कठिन मेरी हिन्दी,
छंदमुक्त तो छंदबध्ध महीन मेरी हिन्दी,
नित नये राग प्रसूत करती मेरी हिन्दी,
गायन की शिखर पर रहती मेरी हिन्दी,
निज आभा विश्व में निखारती मेरी हिन्दी,
शास्त्रीय शब्द भण्डार मेरी हिन्दी,
नूतन साहित्य की त्योहार मेरी हिन्दी,
आदान-प्रदान की प्रमुख मेरी हिन्दी,
सुख-दुख की मुख्य भाव मेरी हिन्दी,
गहरे जख़्म को भरती लगाव मेरी हिन्दी।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई