Search for:
  • Home/
  • क्षेत्र/
  • लखनऊ में आज तक मजबूत है अटल जी की रखी सियासी नींव

लखनऊ में आज तक मजबूत है अटल जी की रखी सियासी नींव

लखनऊ में आज तक मजबूत है अटल जी की रखी सियासी नींव

स्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी कई बार लखनऊ से चुनाव हारे पर जब एक बार जीते तो लखनऊ ने हमेशा उन्हें सिर माथे पर बैठा कर रखा। यहीं से सांसद बनकर तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने।

लखनऊ के कार्यक्रमों में रहते थे मौजूद:

अमृतलाल नागर का चकल्लस कार्यक्रम हो या फिर राम नवमी का आयोजन। अटल बिहारी वाजपेयी उसमें अक्सर नजर आते थे। मलिन बस्तियों को विकास से जोड़ने वाले अटल बिहारी वाजपेयी पुराने शहर को कभी नहीं भूले। पुराने लखनऊ से उनका खासा नाता था।

जनसंघ के समय से बना लखनऊ से खास रिश्ता:

जनसंघ के समय से लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी के इस शहर में कई लोगों के घरों में ठिकाने थे, जहां वह अक्सर चर्चा और कार्यक्रमों में शामिल होते थे। अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ आएं और यहां के खान-पान का स्वाद न लें, ऐसा कभी नहीं होता था। करीबियों के बीच अटल जी को विभिन्न तरह की चाट परोसी जाती थी। वहीं यहां का मलाई पान उन्हें बेहद पसंद था। चौक के बानवाली गली में रामआसरे की पुरानी मिठाई की दुकान से ही उनके लिए मलाई पान दिल्ली भेजा जाता था।

जब निकाय चुनाव में जनता से सफाई के लिए मांगा झाड़ू:

अटल बिहारी वाजपेयी ने 25 अप्रैल 2007 को लखनऊ के कपूरथला चौराहे पर भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में आखिरी चुनावी सभा को संबोधित किया था और उसके बाद उनका लखनऊ से नाता टूट गया था। उन्होंने नगर निगम चुनाव को लेकर सभा में कहा था कि राजपाट तो कांग्रेस को दे दिया है हमें झाड़ू ही दे दो। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में वह वोट डालने भी लखनऊ नहीं आ पाए थे।

आज तक मजबूत है अटल जी की रखी सियासी नींव:

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के गढ़ लखनऊ को 30 साल से अधिक समय से कोई भी राजनीतिक दल भेद नहीं सका है। लोकसभा चुनाव से लेकर विधान सभा चुनाव हो या फिर नगर निगम इलेक्शन, भाजपा आज भी अटल की तैयार की गई जमीन पर विरोधियों को चुनाव दर चुनाव मात देती आ रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ से जो रिश्ता कायम किया, उसी का नतीजा है कि आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। उनकी तैयार की गई जमीन से आज भी भाजपा समय के साथ लखनऊ में लगातार मजबूत होती गई है। 2014 में राजनाथ सिंह जी ने यहां से जीत हासिल की और वर्तमान में भी वह यहां से सांसद हैं।

लखनऊ में ऐसा रहा अटल का चुनावी सफर:

लखनऊ को आज भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की कर्मस्थली के रूप में जाना जाता है। वह लखनऊ से पांच बार सांसद चुने गए। अटल से पहले लखनऊ में भाजपा को कभी जीत नसीब नहीं हुई। ये कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। हालांकि 1989 के चुनाव में जनता दल के मांधाता सिंह ने दाऊजी को हराकर जीत दर्ज की थी।

इससे पहले 1980 और 1984 के चुनाव में कांग्रेस की शीला कौल यहां से सांसद रहीं। 1991 में अटल बिहारी वाजपेई के कदम रखने के बाद भाजपा लगातार मजबूत होती चली गई। खुद अटल बिहारी वाजपेई अपने ही बनाए रिकॉर्ड को तोड़ते रहे।

2004 के लोकसभा चुनाव में भी अटल बिहारी वाजपेई ने फिर अपने ही सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस चुनाव में उन्होंने सपा की मधु गुप्ता को 218000 से ज्यादा मतों से हराया।

चुनाव दर चुनाव मजबूत हुई भाजपा:

खास बात है कि लखनऊ से अटल के गहरे रिश्ते का फायदा भाजपा को केवल लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ही नहीं बल्कि नगर निगम के चुनाव में भी आज तक ​मिलता आ रहा है। लखनऊ के महापौर की सीट 25 साल से अधिक समय से भाजपा के कब्जे में है। लखनऊ से बीजेपी के टिकट पर डॉ. एससी राय दो बार महापौर चुने गए। उसके बाद दो बार डॉक्टर दिनेश शर्मा भाजपा के टिकट पर रिकॉर्ड मतों से जीते। इसके बाद वर्ष 2017 के चुनाव में भी भाजपा ने महापौर की सीट पर कब्जा बरकार रखा।

डॉ. एससी राय, डॉ. दिनेश शर्मा, श्रीमती संयुक्ता भाटिया और इसके बाद 2023 में भाजपा की श्रीमती सुषमा खर्कवाल ने लखनऊ के मेयर पद पर जीत हासिल की।

अटल की विरासत के नाम पर स्व. लालजी टंडन ने भी जीत की दर्ज:

लोकसभा चुनाव की बात करें तो अटल बिहारी वाजपेयी के बाद उनके करीबी लालजी टंडन 2009 में लखनऊ से सांसद बने।टंडन जी अटल जी की खड़ाऊ लेकर मैदान में उतरे थे। तब स्थितियां एकतरफा नहीं थी। उनके खिलाफ कांग्रेस ने रीता बहुगुणा जोशी और बसपा ने अखिलेश दास को मैदान में उतारा था।अखिलेश दास ने चुनाव को जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया था, हालांकि तब भी अटलजी के नाम पर लालजी टंडन ने जीत हासिल की थी।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ​ सिंह का बना संसदीय क्षेत्र:

इसके बाद श्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ को अपना संसदीय क्षेत्र बनाया और 2014 लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। राजनाथ सिंह को 2014 के चुनाव में 561106 वोट मिले, उनकी विरोधी कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को केवल 288357 वोट मिले। इस तरह राजनाथ सिंह जी ने जीत दर्ज कर साबित कर दिया कि अटल का गढ़ कमजोर नहीं बल्कि और मजबूत हुआ है।इसके बाद 2019 और 2024 में भी अटल की कर्मभूमि पर भाजपा की जीत का सिलसिला जारी रहा।
लखनऊ वासियों की अटल जी की जन्म शताब्दी में विनम्र श्रद्धांजलि एवं शत शत नमन।

कर्नल आदि शंकर मिश्र आदित्य
लखनऊ

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required