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भगवान दत्तात्रेय जी के जीवन में विशेष रुप से चौबीस गुरू थे

भगवान दत्तात्रेय जी के जीवन में विशेष रुप से चौबीस गुरू थे

बक्सर, १५/दिसम्बर /२०२४,मार्गशीष अर्थात अगहन माह की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय जी भगवान की जयंती मनाई जाती है।
किसी भी देव, और मनुष्य की जयंती भारतवर्ष की घरती पर उसके मानवोपयोगी, समाजोपयोगी, अर्थीत समस्त जीवों की भलाई करने वालों की मनाकर हम सभी उनके द्वारा किये कार्योंं के लिए आभार देते हैं.
इसी भावना के तहत हम आज भगवान दत्तात्रेय जी के चरणो में हम उनके कार्योंको नमन करते हैं.
वैसे हम साथ_साथ में यह भी बता दें कि बारह महीने की बारह पूर्णिमाआओं को बारह, धार्मिक, संतों साहित्यक सामाजिक महापूरूषों का जन्म हुआ है.
साहित्यकार डॉ ०ओमप्रकाश केसरी पवननन्दन‌ ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से भगवान दत्तात्रेय जी के बारे में कुछ बताने का काम किये हैं.
सबसे पहले उन्होंने भगवान दत्तात्रेय जी के घराधाम पर आये.
साधु के वेश में तीनों देवों ने माता अनसूया से छ:माह के बच्चे के समान भोजन कराने के लिए बोले. माता अनसूया सब समझकर, तीनों देवों को सचमुच में छ:माह का बालक बनाकर अपने आश्रम पालने लगी.
बहुत महीने बीतने के बाद भी जब तीनों देवों का पता नहीं चला तो, वे सभी भगवान नारद जी केपास गई, सब हाल कहकर ओर सब हाल जानकर वे सभी तुरंत माता अनसूया के पास जाकर अपनी भयानक गलती के लिए क्षमा मांगते हुए, पुन: अपने__अपने पतियों को वापस करने हेतु निवेदन की. मता अनसूया उनकी क्षमायाचन को देखकर उनके पतियों वापस कर दी.
भगवान दत्तात्रेय जी की जयंती से हम सभी को यह भी सीख मिलती है कि हमें जहां से भी, और जिससे भी ज्ञान मिले लेना चाहिए, भगवान दत्तात्रेय जी के जीवन में कुल चौबीस गुरू थे___जिनमें अन्य के साथ जानवर भी थे.
हम समस्त मनुष्य को भी भगवान दत्तात्रेय जी के जीवन से कुछ सीखना चाहिए.
जय भगवान दत्तात्रेय जी महाराज.

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