संविधान के गुरू प्रणाम
संविधान के गुरू प्रणाम
बाबा साहब तुम्हे प्रणाम ,
बाबा साहब तुम्हे प्रणाम ।।
जब जब संकट पड़ा देश पर ,
महापुरुष आ खड़े हुए ।
डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जी,
नेता अपने बड़े हुए ।
समता, बंधुता व स्वतंत्रता,
नारे उनके गड़े हुए ।
पग पग पर बाधाएँ झेली,
कभी नहीं थे डरे हुए। ।
ऐसे जननायक महान को,
पुनः पुनः फिर आज प्रणाम। 1।
भारत देश में एक राष्ट्र,
जो महाराष्ट्र कहलाता है।
वह महान है कई तरह से,
सबको गले लगाता है।
कितने ही महान पुत्रों का,
उस धरती से नाता है।
अपने बाबा साहब का भी,
नाम वही से आता है ।।
कभी नहीं जो हिम्मत हारे ,
किए असम्भव सम्भव काम।
कोटि कोटि भारतवासी का,
शत शत बार है तुम्हें प्रणाम। 2।
जन्म हुआ था महू क्षेत्र मे ,
भीमा के है लाल हुआ।
श्रीराम जी पिता के घर में,
देखो आज कमाल हुआ ।
चारो तरफ खूब धूम मची थी ,
खुशियों का आज धमाल हुआ।
भारत माता की गोदी में,
पैदा भारत भाल हुआ ।
आगे चलकर नाम कमाये,
किए बहुत लोगों के काम।
शोषित पीड़ित दलित जनों के,
थे भावी नेता अभिराम ।3।
बड़े हुए खूब पढ़े लिखे,
संकट में कभी ना घबराए।
चाहे कितनी बाधाएँ थी,
बालक वह बढ़ता जाये।
भारत देश में पढ़े लिखे,
फिर विदेश से शिक्षित हो आए।
सबको आकर गले लगाया ,
डॉक्टर ज़न ज़न को भाये ।
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर ने,
मानवता को दिया पैगाम ।4।
भारतीय संविधान लिखा,
लोगों के वे दिल में छाए ।
सबको गले लगाओ प्यारे ,
भारत एक का पाठ सिखाये।
आंधी व तूफ़ानों में भी,
जिनके कदम न थर्राये ।
शिक्षित बनो संगठित हो,
मानवता को न भूल पाए।
ऐसे महा मनीषी को,
हम सबका शत शत बार प्रणाम। 5।
जिसने ज्ञान दिया लोगों को,
जागो निज कल्याण करो ।
जाति पाँति व छुआछूत से ,
दूर नहीं इंसान करो ।
बनो अहिंसक निडर साहसी,
तुम ना मदिरा पान करो ।
ऐसे महा तपस्वी संत को ,
करते बारम्बार प्रणाम ।।6 ।।
ये कृतज्ञ भारतवासी,
तुमको न भूल अब पाएंगे।
पिछली अपनी भूलों से,
अपनों को नहीं दुखायेंगे ।
मानव सेवा सच्ची सेवा,
सबको गले लगाएंगे ।
हर भारतवासी के घर “शिव ”
मंगल दीप जलाएंगे । ।
तोड़ पुरानी जंजीरों को ,
स्वतंत्रता भारत के धाम।
लोकतंत्र के सच्चे सेवक,
संविधान के गुरु प्रणाम ।।7।।
शिवनाथ सिंह “शिव”
रायबरेली