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क्या था ज़माना आग का फ़साना

क्या था ज़माना आग का फ़साना

माचिस नहीं तब भी जरूरत आग की सब ओर
प्राप्त की जाय आग कैसे ?पत्थरों को रगड़ कर
मुश्किल था आग को पाना क्या था ज़माना ?
गीले पत्थर से बहुत मुश्किल था आग को जलाना

जेब में आग रखने की कोशिश सदा चलती रही
चीड़ की लकड़ियों पर गंधक लेप मिस्र में होता रहा
गंधक भिगोकर लकड़ी से आग जलाने का तमाशा
पांच हजार वर्ष पहले मिस्र में चढ़ा जलाने का नशा

माचिस ,दियासलाई या अग्निपेटिका एक ही है चीज
सबसे पहले अग्नि को जेब में रखने की हो रही खोज
कोई इंसान किस तरह से अग्नि को मुट्ठी में रखें सोच
ब्रिटेन के वैज्ञानिक जॉनवॉकर ने बनायीं पहली तीली

किसी खुदरी जगह रगड़कर जल गयी माचिस तीली
फ्रांस के वैज्ञानिक एंटिमनी ने किया फास्फोरस प्रयोग
जलन गन्ध की इससे हटाई अच्छी नयी माचिस बनायीं
स्वीडन के वैज्ञानिक ट्यूबकर ने फिर नयी युक्त सुझायीं

दूसरे केमिकल मिलाकर सेफ्टी माचिस , ज्योति जलाई
जिस माचिस का प्रयोग हो रहा यह 1895 में भारत आयीं
स्वीडन की कंपनी ने पहली फैक्ट्री अहमदाबाद में लगायी
कोलकाता में दूजी डालकर जेब में सबके आग पहुंचायी

माचिस का सही प्रयोग इंसानियत के लिए करो
आग का प्रयोग भूख को मिटाने के लिए ही करो
कहीं आग लगाकर भूख बढ़ाने के लिए न करो
आप से अपेक्षा है सदुपयोग कल्याणकारी करों

डॉ. कृष्ण कान्त भट्ट
एस वी पी सी बंगलौर कर्नाटक

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