हिंदी मेरी सबसे प्यारी
हिंदी मेरी सबसे प्यारी
हिंदी मेरी मातृभाषा , हिन्दुस्तान की है पहचान।
संस्कृत से निकलकर बनी,संस्कृति का नामवर गान ।।
शब्दों की धाराओं में है ,बहता ही रहे अविरल ज्ञान।
हिंदी संस्कृत की बेटी, विश्व साहित्य में है महान।।
सरल औ सहज भाषा में दें,अपनी चहुंओर अभिव्यक्ति।
भावों को सब रूप संजोए, हर पंक्तियों में अद्भुत शक्ति।।
मानवता प्रेम का संदेश, बहाए करुणा की धारा।
हिंद में हिंदी ने सिखाया,जन जन को जीने का सहारा।।
विचारों के गूंज की अभिव्यक्ति शब्दों में ठहरे।
हिंदी में भावों की मिठास ,जन मन में रस घोले गहरें।।
हर अक्षर शब्दों में छुपा है ,धर्म ग्रंथ संस्कृति का सार,
हिंदी की गाथा महिमा में, बसा जीवन आचार विचार।।
सोने की चिड़िया की थाती, साहित्य की स्वंय धरोहर । रचे हर गीत की सुंदरता, सभी कहानी लगे मनोहर।।
बच्चों से बूढ़ो तक को दे ,नयी दृष्टि भाषा भी यही ।
हिंदी के बिना अधूरा है ,जीवन का हिन्दुस्तान कहीं।।
राष्ट्रीय एकता की मिशाल,विश्व में बन अद्वितीय सूत्र।
हम सबको हिंदी ने जोड़ा ,जन मोती पिरोने को प्रकट।।
राज्य को संस्कृति माला ,में पिरोये मोती की डोर।
हिंदी बिना सब जगत में कुछ, लगता चारों ओर कमजोर।।
साहित्य शब्दों का आकाश,औ अक्षरों का समागम रंग।
हिंदी से मिलती है हमको,जीवन की रंग भरी उमंग।।
हिन्दी है प्रेम औ भक्ति का, है अनुपम अनमोल खजाना।
हर भाव, हर सोच, इसमें हैं ,भारतीयों को हमें बसाना।।
कविता, कहानी, गद्य का मेल, हिंदी अद्भुत भाषा की खेल।
संस्कृति का वाहक भाषा ,महान छुपा हिन्द का सम्मान।।
नैतिकता का पठन पाठ भी, इसमें मिलता है हर रोज़।
हिंदी की महिमा है गाएं ,जग में बेमिसाल वीर भोज।।
राष्ट्रभाषा का गौरव हो,मानव आत्मा की आवाज़।
हिन्द भू पर हिंदी ने सिखाया,है सबको अपना अंदाज।।
आओ हम सब मिल हिन्दी का,मार्ग उन्नत प्रशस्त करें।
हिंदी की झंडा को हरदम , नित्य सदा सभी ऊँचा रखें।।
भारतीयों का इसमें जीवन रहता सत्य और साकार।
हिंदी भाषा में रचा बसा, हिन्द संविधान और विचार।। भारतीयों का इसमें जीवन ,रहता सत्य और साकार।
हिंदी भाषा में रचा बसा, हिन्द संविधान और विचार।।
डॉ उर्मिला साव कामना