माता दुर्गा देवी जगज्जननी ( बाल पंचपदियांँ )
माता दुर्गा देवी जगज्जननी
( बाल पंचपदियांँ )
शैलपुत्री माता प्रथम स्वरूप,
संकट हरानेवाली देवी रूप ,
त्रिशूल धारी, सिंह सवारी रूप
यह दुर्गा माता का ही रूप
भक्तों के दुखों को भगाती गोपाल!
माँ ब्रह्मचारिणी की महिमा,
चतुर भुजों की है भंगिमा
ध्यान-योग में मग्न तनिमा
वैराग्य भावना की है गरिमा
दुर्गा देवी का ये दूसरा रूप गोपाल!
चंद्र घंटा माँ का वीर स्वरूप,
अर्ध चंद्राकार माथे पे अनूप,
घंटा की ध्वनि का प्रति रूप
दुष्टों को दिखती है रौद्र रूप
तीसरा रूप माँ का महान गोपाल!
कूष्मांडा रूप बहुत विशाल,
हंस सवारी,शांत भरी चाल,
सूर्य सा तेज है दृष्टि सुविशाल
जगत की रचना में अविरल
माता का चौथा रूप कमाल गोपाल!
स्कंद माताजी का अलंकार
बालक स्कंद का ही आकार
सिंह सवारी,ज्ञान है अपार,
शांति प्रसार का है विचार,
मां का पांचवा रूप विमल गोपाल!
माता कात्यायनी का रूप,
सिंह पर सवारी करे हैं भूप,
महिषासुर मर्दानी उग्र रूप
दुष्टों का पूर्ण विनाशी स्वरूप
छठा रूप मां का महान गोपाल!
मां कालरात्रि का रूप विराल,
सभी दुष्टों का होगयी बुरी हाल,
संकट देनेवालों का हुआ बेहाल,
अंधकार दूर,जीवन उज्ज्वल,
मां का सातवां रूप विशाल गोपाल!
मां महागौरी का रूप वह
अष्टभुजा स्वरूपिणी वह
सभी पापों को हरती वह
सुख-शांति सबको देती वह
मां का आठवां रूप महान गोपाल!
सिद्धिदात्री मां का रूप ही है
अष्टसिद्धियों को वह देती है
भक्तों के सब संकट मिटाती है,
मनोकामनायें पूर्ण करती है,
नवम रूप मां का अद्भुत गोपाल!
दशहरा का जब पर्व आए,
दुर्गा ये रूपों को अपनाए,
सभी अवतार सुख दिलाए
दशहरा के पर्व सभी मनाए
माँ दुर्गा की महिमा गुण गाए। गोपाल!
पोरंकी नागराजु