जाँजगीर जिले में हरदी स्थित महामाया शक्तिपीठ
जाँजगीर जिले में हरदी स्थित महामाया शक्तिपीठ
जाँजगीर जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी दक्षिण की ओर स्थित हरदी मेरा मामा गाँव होने के कारण बचपन से ही यहाँ से मेरा जुड़ाव रहा है और यहां स्थित महामाई मंदिर शक्ति का अक्षुण्ण स्रोत रहा है। यूँ तो देवी माँ जहाँ कहीं भी विराजमान हो, वह अपने आराधकों को शक्ति प्रदान करती हैं साथ में समभाव से समस्त जन को माँ की कृपा प्राप्त होती है।माँ महामाई दाई मंदिर में गर्भगृह में दर्शनार्थ हेतु अवस्थित है।अलौकिक संदर्भ से मंदिर की विशेषता यह हैं कि हर साल सप्तमी रात 12 बजे से 1 बजे तक मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं व मंदिर के सारे कैमरों पर कपड़े बांध दिए जाते हैं। चारों ओर अंधेरा कर दिया जाता है। मंदिर के गर्भगृह में माँ के पिण्डी रूप के सामने चलनी से आटा बिखेर दिया जाता है। किवदंती है कि रात में माँ महामाया देवी शेर पर सवार होकर यहां साक्षात आती हैं।वहीं एक घंटे बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं गर्भगृह में बिछाए आटे पर भक्तों को शेर के पदचिह्न दिखते हैं।हमेशा से कपाट खुलने के बाद शेर के पदचिह्न के निशान देखने को मिलते आए हैं। मंदिर में मां महामाया देवी पिण्डी रूप में विराजमान हैं। नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओ की भारी भीड़ दर्शन के लिए दूर दूर से पहुंचते हैं।माँ की अपूर्व शक्ति का आभास हमें मंदिर प्रांगण में प्रवेश करते ही हो जाता है। यह पहरी पर स्थित है इसके नीचे अमराई के मनोरम दृश्य मन को बहुत आह्लादित करता हैं। इस मन्दिर से जुड़ना मेरे लिए बहुत ही गर्व और सम्मान की बात है यहाँ आना मुझे बहुत आत्मिक शांति की अनुभूति कराता है। मैं आराध्य माता रानी से प्रार्थना करता हूँ कि उनकी कृपा सब पर सदैव बनी रहे और सभी को देवी का आशीर्वाद प्राप्त हो। जुड़ाव के निरंतरता को बनाये रखने हेतु सहयोग के लिए निखिल वस्त्रालय को विशेष आभार।
त्रिभुवन लाल साहू
बोड़सरा जाँजगीर छत्तीसगढ़