विश्व पर्यावरण दिवस पर साहित्यिक विमर्श व आभासी काव्यगोष्ठी संपन्न
विश्व पर्यावरण दिवस पर साहित्यिक विमर्श व आभासी काव्यगोष्ठी संपन्न
कलम के हस्ताक्षर साहित्यिक पटल,जिसका मुख्यालय मेरठ, उत्तर प्रदेश में है द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर साहित्यिक विमर्श व काव्यगोष्ठी का सफल आयोजन आभासी माध्यम से दिनांक ०८-०६-२०२४ को किया गया। इस आयोजन में देश के विभिन्न प्रांतों व विदेशों(कैलीफोर्निया व शिकागो)से हिंदी व लोकभाषा के नामचीन कलम के हस्ताक्षरों की सहभागिता रही। कार्यक्रम में मुख्य आतिथ्य छंदाचार्य राम लाल ‘ननकी’, विशिष्ट आतिथ्य विजय प्रेमी जी, अध्यक्षता अंजनीकुमार’सुधाकर द्वारा किया गया।
अपने स्वागत संबोधन में पटल की संस्थापिका सीमा गर्ग’मंजरी’ द्वारा पटल के साहित्य संवर्धन के उद्देश्य को रेखांकित किया गया तथा सामाजिक व राष्ट्रीय सरोकारों पर पटल द्वारा किये जाने वाले साहित्यिक आयोजनों की रुपरेखा प्रस्तुत किया गया।
विशिष्ट अतिथि विजय प्रेमी ने पर्यावरण की शुद्धिकरण के लिए यज्ञ- हवन करने पर बल दिया।
मुख्य अतिथि के आसंदी से छंदाचार्य राम नाथ’ननकी’ ने छंद काव्य को पौराणिकता के आधार पर आज के साहित्यकारों को छंद विधा में साहित्य सृजन करने का आह्वान किया गया।
अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ साहित्यकार अंजनी कुमार’सुधाकर’ ने पर्यावरण, प्रकृति व मानव के अंतर्संबंधों को स्थापित करते हुए विकास में पारिस्थितिकी तंत्र को प्रकृति व जैव विविधता के मध्य संतुलन बनाये रखने के महत्वपूर्ण कार्य बिन्दुओं को प्रस्तुत किया। पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलन से संभावित प्रलयंकर विभिषिका के प्रति मानव समाज को आगाह करते हुए वृक्षारोपण की नागरिक दायित्व को पूर्ण करने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम का सफल संचालन डा माधवी मिश्रा’शुचि’द्वारा एवं आभार प्रदर्शन ऋतु अग्रवाल द्वारा किया गया।
इस अवसर पर विषयगत परिचर्चा व काव्यपाठ में सहभागिता करने वाले साहित्यकार थे दिनेश चंद्र प्रसाद ‘दिनेश’-तुझे कौन सा फूल चढ़ाऊं.. ,नीति अग्रवाल- *पंछी करें पुकार…,अनिता दुबे- वृक्षों की पुकार… सुरेन्द्र सिंह राजपूत ‘हमसफ़र पर्यावरण सुना भाई एक नारा है… सुधीर श्रीवास्तव- आज की आधुनिकता में हम प्रकृति को भूल गये…, डा चुन्नी रस्तोगी- प्रकृति को सहेजें हम,प्रकृति हमें सहेजेगी…,
विजय प्रेमी- सृष्टि के इस यज्ञ तन में हम सभी यजमान हैं…, रामनाथ साहू’ननकी’- *प्रकृति हमारा आधार इसके संरक्षण संवर्धन के लिए हम रहें तैयार…, अशोक पटसारिया’
नादान’- पर्यावरण बचाओ भाई वरना अंत बड़ा दुखदाई..,ऋतु अग्रवाल सुख में मत भूलो प्रभु को…,नीता कपूर- पतझड़ भी एहसास कराता है नये पन का एहसास,अनिता रवि दुबे- पूजा अर्चना होती वृक्ष हमारे प्राण…सीमा गर्ग मंजरी- सावधान हो जाओ मानव जननी को मत मैला करिये…,* निखिल कुमार पंडित- हे मानव कैसी दुर्दशा बना लिया है व अंजनी कुमार ‘सुधाकर’- छत्तीसगढ़ी रचना- झिन काटव झिन काटव रुख राई ला..
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nice