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*बेमिसाल काव्य गोष्ठी* *कवि संसार साहित्य राष्ट्रीय मंच उत्तराखंड*

*बेमिसाल काव्य गोष्ठी*

 

*कवि संसार साहित्य राष्ट्रीय मंच उत्तराखंड*

*एक और नया कीर्तिमान*

 

*देश दुनिया के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने की शिरकत*

 

कवि संसार साहित्य राष्ट्रीय मंच उत्तराखंड के तत्वाधान में मंच के पंजीकरण पश्चात् अधिकृत रूप से प्रथम काव्य गोष्ठी आज दि. 23 अप्रैल सायं 7:00 बजे से गूगल मीट पर आयोजित की गई..कार्यक्रम की अध्यक्षतां वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद श्रीमती नीलम नेगी जी द्वारा की गई,मुख्य अतिथि के रूप में श्री सूरजकांत जी तथा संचालन वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश कौर जी द्वारा किया गया…

 

* गोष्ठी में अध्यक्ष एवम मुख्य अतिथि के अतिरिक्त श्री बी. नेगी कृष्णा मंच संस्थापक,डॉ मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’, श्री राम सहारे मिश्र, रितेश कुमार सोनी, ब्रह्म प्रकाश,अशोक कुशवाहा, धनजी भाई गढ़िया,कमलेन्द्र दाहमा,श्रीमती अमृत बिसारिया,

कमला बिष्ट जी सहित अनेक लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार व साहित्य प्रेमी श्रोतागण उपस्थित रहे…

 

* सर्वप्रथम संचालिका महोदया द्वारा सभी मंचासीन अतिथियों का परिचय कराते हुए सादर अभिनंदन किया गया, तत्पश्चात गोष्ठी का पारंपरिक शुभारंभ सुप्रसिद्ध संगीतकार/ साहित्यकार डॉ.मधुकर राव द्वारा मां सरस्वती की सुंदर वंदना से प्रारंभ हुआ…

 

* काव्य गोष्ठी की संचालक महोदया द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी कवि साहित्यकारों का औपचारिक स्वागत किया गया, तत्पश्चात् उपस्थित कवि/साहित्यकारों द्वारा सम सामयिक विविध विषयों तथा प्रचलित परंपरा आधारित रचनाओं के साथ बसंत,नव वर्ष,नारी,पहाड़ की पीड़ा,श्रृंगार,प्रेम के सार्वभौमिक स्वरुप, हनुमान जयंती,भक्तिभाव एवं महिला सरोकारों जैसे अन्य कई प्रासंगिक/ज्वलंत विषयों पर आधारित कवितायें,गीत काव्य पढ़े गए…

 

* अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्रीमती नीलम नेगी जी ने आज के सादगीपूर्ण साहित्यिक भव्यता लिए आयोजन तथा प्रस्तुत रचनाओं की सराहना की..युवा,वरिष्ठ व विद्वान साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत उत्कृष्ट व स्तरीय रचनाओं ने समा बाँधा..उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय साहित्य मंच की स्थापना के मौलिक उद्देश्य एवं परंपरागत स्तरीय साहित्य स्वरुप को बनाये रखने हेतु मंच से जुड़े प्रत्येक कवि साहित्यकार का किसी न किसी रूप में सक्रिय सहभागी होना जरुरी है,सभी कवि साहित्यकार साथी संगठित होकर ऐसे ही काव्य गोष्ठियों का आयोजन करते रहें, ताकि कवियों में रचनात्मक समृद्धि व परस्पर सीखने के अधिकाधिक अवसर एक पटल के माध्यम से प्राप्त होते रहें.. नये उदीयमान एवं वरिष्ठ अनुभवी रचनाकारों का जुड़ना मंच को रचनात्मक ऊंचाइयों पर स्थापित कर पाने में सहयोग करेगा,मंच के सदस्यों में रचनाधर्मिता एवं सामूहिक सहभागिता के प्रति समर्पित भाव से चिंतन व सहभागिता आवश्यक है…

 

* मुख्य अतिथि श्री सूरजकांत जी ने अन्य अनेक साहित्यिक मार्गदर्शन देते हुए साहित्य के काव्य क्षेत्र में रचनाधर्मिता के संवर्द्धन हेतु सभी के सम्मिलित प्रयासों पर चर्चा की,सभी

साहित्यकारों से वर्चुअली मिलकर/उन्हें सुनकर प्रसन्नता व्यक्त की तथा सभी प्रस्तुतियों की सराहना की.उन्होंने कवि संसार साहित्य राष्ट्रीय मंच के लिए लिखी अपनी रचना के माध्यम से मंच के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों के व्यक्तित्व,कृतित्व व रचनाधर्मिता पर आधारित गहन समीक्षात्मक काव्यपाठ कर सभी को भावविभोर कर दिया…

 

* मंच के संस्थापक श्री बी.नेगी कृष्णा जी ने सभी उपस्थित कवि /साहित्यकारों का मंच की ओर से औपचारिक स्वागत व आभार प्रकट किया,मंच की स्थापना से पंजीकरण की प्रक्रिया में अथक प्रयासों, विविध स्तर पर सहयोग,वर्तमान में मंच के विशाल स्वरुप तक पर चर्चा करते हुए भावी प्रगति,अन्य अनेक अपेक्षाओं की पृष्ठभूमि में अपनी बात रखी, साथ ही सभी के सक्रिय सकारात्मक सहयोग का आह्वान भी किया…

 

* संचालन करते हुए जगदीश कौर जी ने सभी का पुनःआभार व्यक्त किया उनके अनुरोध पर अध्यक्ष महोदया ने प्रस्तुतियों की विश्लेक्षणात्मक समीक्षा के साथ काव्य गोष्ठी के समापन की औपचारिक घोषणा की…

 

👉कुछ सुंदर काव्यपाठ और गीतकाव्यों की झलकियाँ–

(मुखड़ा पंक्तियाँ)

 

* हे माता वीणावादिनी हंसवाहिनी, करूँ मैं तेरा ध्यान

विद्या की देवी माता सरस्वती नित क्षण मैं करूँ तुझे प्रणाम..

—डॉ. मधुकर राव, मस्कट (ओमान)

 

* राग द्वेष बैर भाव ये सब तो हैं जी का जंजाल

साहित्य मंच से जुड़कर रहना रहता दोस्तो सदा कमाल..

— सूरजकांत

 

* भक्त शिरोमणि का सारा जीवन

समर्पित हुआ श्रीराम के चरणों में..

 

* विराजो राम अपने धाम आस हम लगाए बैठे तुम्हारी श्रीराम..

— कमलेन्द्र दाहमा

 

* स्वभाव जनित मन संकल्पना नित जागती रहे

रूपा वाचा कर्मणा में बना रहे तालमेल सदा…

— बी. नेगी कृष्णा

 

* सशक्त और शिक्षित मैं आज की नारी हूं

ना तो मैं अबला हूं ना ही बेचारी हूं

अवसर का चोला पहनकर मैंने जीना सीख लिया है

सपनों को पंख लगाकर मैंने भी उड़ना सीख लिया है…

 

* सेना की उजली वर्दी का नित ही हम सम्मान करें

जिसे पहनकर देश का सैनिक खुद पर ही अभिमान करे…

— कमला बिष्ट (कमल)

 

* वक़्त और हालात के समंदर में कई मोती पनपते हैं

मिलते उसी को जो अपने भीतर हौसला रखते हैं…

 

* एक विचार हमको हंसाता है तो एक रुलाता है

जीवन पथ पर आगे बढ़ने का मार्ग हमें दिखाता है…

— रितेश कुमार सोनी

 

* इश्क और अश्क़ का होता गहरा नाता

इश्क है तो अश्क़ का होना होता लाजमी

इश्क है नेमत ख़ुदा की इश्क में ईश्वर का होना लाजमी…

 

* जख्म रिसते हैं तो दर्द बढ़ता है

पुराने जख्मों की दवा कहाँ होती है

ये जख्म दिया है अपनों ने ही

मेरे जख्म ये तो हँसते जख्म हैं…

—डॉ मधुकर राव

 

* धोकर चरण पावन चढ़ाऊंगा प्रभु…

 

* ऐसे मिले भरत हैं प्यासे को मिल पाए पानी

नैनों से अश्रु बहते वो प्रेम की निशानी

चौदह बरस की पीड़ा नैनों में उतर आई

कहने लगी स्वयं ही दुःख दर्द की कहानी…

— राम सहारे मिश्र

 

* कभी भूकंप तो कभी नदी नालों की बाढ़

कभी बादलों का फटना कभी डैमों का टूटना

प्रकृति की सुंदरता आज तार तार है, झेलता मेरा पहाड़…

— ब्रह्म प्रकाश

 

* जिंदगी की इस राह पर बहुत बदलाव देख चुका हूं

सबको अपने वश में करके खुद को ढूंढने निकला हूं

दुनिया में अपना रौब जमाकर जुल्म सितम कर बैठा हूं

गुनाहखोरी बहुत की है मैंने अब खुद इंसान बनने निकला हूं…

— धनजी भाई गढ़िया

 

* हनुमान चालीसा की सुन्दर गाथा

रामभक्त जो है गाता

भूत पिचाश निकट नहि आता

ना ही कभी मन घबराता…

— सूरजकांत

 

* पता नहीं कितने गमों का बोझ उठाएगी ये कविता

दिमाग़ भी वेदना संवेदना से भारी हैं

पता नहीं कब तक जिंदा रह पायेगी ये कविता….

— जगदीश कौर

 

* मेरा मायका जहाँ नन्हा बचपन गुजरा

बड़ों का दुलार छोटों से प्यार पाया था

खेलकूद उमंगों भरी जवानी बीती थी

डोली सजी जिस आँगन से विदा हुई मैं

कई बार मन मंदिर सी देहलीज पूजी थी …

 

* नव वर्ष का फिर हुआ शुभागमन

ले मधुरिम आशाएं अनंत हम

करें अविरल अभिनन्दन आभार

जी लूँ कुछ स्वर्णिम पल मैं भी

आ जाओ जीवन में ऋतुराज बसंत

पुलकित और उल्लसित हो मेरे द्वार…

— नीलम नेगी

 

* फोटो संकलन /आलेख /रिपोर्ट प्रस्तुति — श्री. नीलम नेगी

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