मिथिला में होली
मिथिला में होली
घर घर लाल गुलाल उड़े हैं, मिथिला में है होली।
एक प्रेम रस धार बहे है, मधुरम सबकी बोली।।
जैसे राधा कृष्ण के संग संग, राम सिया संग नाचे।।।
हृदय भर भर प्रेम लुटाए प्रेम रसायन बाँटे।।।।
रे आया होली का त्यौहार, प्रेमल है मिथिला का व्यवहार।
सुखद है यह मेरा संसार, सभ्य है मिथिला का संस्कार।।
करो मन भर के प्रेम बौछार, लुटाओ हृदय भर भर प्यार।।।।
होली में दिल दिल से मिलाते।
प्रेम पथिक बन नयन लड़ाते।।
सजनी को हृदय में सजाते।।।
कर दिल से सत्कार, यही है सबसे बड़ा उपहार।।।।
रे आया होली का त्यौहार……..
प्रेम से ही यह तन भावन है।
प्रेम से ही यह मन पावन है।।
प्रेम से ही जीबन सावन है।।।
प्रेम ही है भगवान, कि दिल से सबको करो प्रणाम।।।।
रे आया होली का त्यौहार………
प्रेम रसायन बाँट रहे हैं।
सबके दिलों में साँच रहे हैं।।
इर्ष्या द्वेष को छाँट रहे हैं।।।
आनंदित इंसान, उमंगित इस जगको है प्रनाम।।।।
रे आया होली का त्यौहार…….
आज नहीं शत्रु कोई जग मे।
ऊँच नीच कोई रहा न भव में।।
खनक रहे घुंघुरू पग पग में।।।
कण कण में भगवान, हृदय से सबका करो सम्मान।।
रे आया होली का त्यौहार…….
मधुवन में हम रास रचेङ्गे।
सजनी के संग नाच करेंगे।।
रंग गूलाल से गाल सजेंगे।।
हिर्दय प्रेम फ़ुहार, उमङ्गित यह मेरा संसार।।
रे आया होली का त्यौहार, प्रेमल है मिथिला का व्यवहार।
सुखद है यह मेरा संसार, सभ्य है मिथिला का संस्कार।।
करो मन भर के प्रेम बौछार, लुटाओ हृदय भर भर प्यार ।।
अजय कुमार झा
नेपाल, जनकपुरधाम
1 Comment
अति सुन्दर सार्थक रससिक्त रचना के लिए बधाई