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स्वामी विवेकानंद जी

स्वामी विवेकानंद जी

अध्यात्म की दुनिया में,
तहलका मचा कर,
समस्त विश्व में परचम,
लहराएं हैं।
नाम नरेंद्र था उनका,
स्वामी विवेकानंद कहलाए हैं।
जन्म लिया कलकत्ता में,
स्वभाव से चंचल थे।
बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि,
तर्क वितर्क में प्रवीण थे।
गुरु की कृपा से जल्द ही,
नरेंद्र को आत्मसाक्षात्कार हुआ।
गेरूए वस्त्र धारण किए,
स्वामी विवेकानंद नाम हुआ।
ब्रम्ह समाज की स्थापना कर,
अध्यात्म की ज्योति जलाई है।
निराकार ब्रह्म की उपासना कर,
सत्य की राह दिखाई है।
कठिन साधना कठिन तप से,
अपनी आत्मा को पुष्ट करो,
निष्काम कर्म और सरल भाव से,
अपने तन को निर्मल करो।
सरल भाव से साधना कर,
तन मन और आत्मा को,
एक सूत्र में पिरो पाओगे।
यही जीवन का परम सत्य है,
यही सब अपनाओगे।
योग ध्यान पर जोर देकर,
स्वामी जी ने अद्वैत में टिकाया है।
सुख दुख में सम रहने का,
सबक हमें सिखलाया है।
गीता के कर्म योग का,
भरपूर समर्थन करते थे।
बुद्ध के अष्तांगिक मार्ग का,
भी अनुसरण करते थे।
वेदांत बौद्ध और गीता दर्शन,
का सारा सत निकाल कर,
ऐसा दर्शन शास्त्र रच डाला है।
निराकार को इक तत्व मान कर,
राजयोग का परचम लहराया है।
गुरु के अनन्य भक्त थे स्वामी जी,
प्रीत रूहानी थी उनकी।
जीवन किया गुरु को समर्पित,
रीत निराली थी उनकी।
गुरु ने भी अपने परम शिष्य को
पहचान लिया।
परमहंस ने प्रम कृपा कर,
स्वामी जी को ब्रम्ह ज्ञान दिया।
गुरु कृपा से जल्द ही ,
नरेंद्र को आत्म साक्षात्कार हुआ।
गेरूए वस्त्र धारण कर,
स्वामी विवेकानंद नाम हुआ।
देश विदेश में सनातन धर्म की,
अलख जगाने निकल पड़े।
विश्व धर्म महासभा में,
सनातन धर्म का आगाज किया।
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में,
सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया।
रामकृष्ण मिशन की शाखाएं,
विश्व में स्थापित की।
हर जगह शाखाएं पल्लवित हुई,
खुशबू फैली भारतीय संस्कृति की।
मात्र उंतालिस वर्ष की अल्पायु में,
स्वामी जी ने देह त्याग किया।
पर अल्प समय में ही,
विश्व को अमूल्य योगदान दिया।
और उन्होंने गुरु कृपा से,
भारतीय संस्कृति का आह्वान किया।
युवा दिवस मनाकर हम सब,
स्वामी जी को नमन करते हैं।
उनके पदचिन्हों पर चलकर,
अपनी संस्कृति को संजोकर रखते हैं।

रश्मि पांडेय शुभि
जबलपुर, मध्यप्रदेश

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