भगवान धन्वंतरि आरोग्य मंत्र
भगवान धन्वंतरि आरोग्य मंत्र
सनातन धर्म में भगवान धन्वंतरि
देवताओं के वैद्य माने जाते हैं,
धन्वंतरि महान चिकित्सक थे,
वे भगवान विष्णु के अवतार थे।
समुद्र मंथन के दौरान धन्वंतरि जी
कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी के दिन
पृथ्वी लोक में अवतरित हुये थे,
उसी दिन से धनतेरस मनाते थे।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा,
कार्तिक द्वादशी को गो कामधेनु, त्रयोदशी को धन्वंतरि(धनतेरस)
चतुर्दशी के दिन काली माता का।
और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी
जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ है,
दीपावली के दो दिन पूर्व धन्वंतरि का जन्म धनतेरस के रूप में मनाते हैं।
*आरोग्य प्राप्ति हेतु धन्वंतरि देव का पौराणिक मंत्र*
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय
वासुदेवाय धन्वंतराये:,
अमृतकलश हस्ताय सर्व भय
विनाशाय सर्व रोगनिवारणाय,
त्रिलोकपथाय, त्रिलोकनाथाय,
श्री महाविष्णुस्वरूप,
श्री धनवंतरी स्वरूप, श्री श्री श्री
औषधचक्र नारायणाय नमः॥
परम भगवन जिन्हें सुदर्शन
वासुदेव धन्वंतरि कहते हैं,
जो अमृत कलश लिए हैं,
सर्वभयनाशक, सर्वरोग नाशक हैं,
तीनों लोकों के स्वामी हैं और
उनका निर्वाह करने वाले हैं;
उन विष्णु स्वरूप भगवान
धन्वंतरि को सादर नमन है।
*पवित्र धन्वंतरि स्रोत*
ॐ शंखं चक्रं जलौकां
दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितट
विलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप् रौढदावाग्निलीलम॥
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ