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साहित्य का विश्व रंग ‘प्रेम की वह बात’ सम्पन्न।

साहित्य का विश्व रंग ‘प्रेम की वह बात’ सम्पन्न।

विश्वरंग, हालैण्ड से साझा संसार, वनमाली सृजनपीठ व प्रवासी भारतीय साहित्य शोध केंद्र के ‘साहित्य का विश्वरंग’ का आयोजन ‘प्रेम की वह बात’ हाल ही में, ऑनलाइन सम्पन्न हुआ।
इस आयोजन में, सूरीनाम से शर्मिला रामरतन, फ्राँस से हरु मेहरा, भारत से राधेश्याम तिवारी तथा लंदन से दीवा करनानी शाह व इंदु बारौठ चारण ने भाग लिया।
इस आयोजन का सफल संचालन अमेरिका से सुश्री विनीता तिवारी ने किया।
आयोजक व साझा संसार फाउण्डेशन के अध्यक्ष रामा तक्षक ने अपने स्वागत वक्तव्य में बताया कि विश्वरंग महोत्सव का प्रतिवर्ष आयोजन, इस धरा पर चहुँओर भारतीय साहित्य व संस्कृति को पोषित और संरक्षित करने का काम कर रहा है। उन्होंने आगे बताया कि मुझे याद है पहला विश्वरंग 2019 तथा दूसरा विश्वरंग महोत्सव 2020 व कोविड काल। यह एक ऐसा समय था जो सौ वर्ष पहले की याद भी दिला रहा था। इस एक सौ साल के अन्तराल पर दो महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी हैं।
उन्होंने आगे बताया कि रवींद्रनाथ टैगोर ने 1920 में यूरोप की यात्रा की थी। वे इसी बरस सितंबर में नीदरलैंड्स भी आये थे। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य भारत में शिक्षा व्यवस्था को खड़ा करना था। दान धनराशि इकट्ठी करने के लिए वे पश्चिमी यूरोप के कई देशों में गये थे। यूरोप के देशों से दान स्वरूप मिली राशि ने शांतिनिकेतन को खड़ा करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। समय के दूसरे छोर की ऐतिहासिक घटना है, संतोष चौबे द्वारा विश्वरंग महोत्सव का आयोजन। ऐसा वृहत आयोजन, एक निजी संस्थान द्वारा वैश्विक स्तर पर भारत में पहली बार हुआ। इस आयोजन में विश्व के कौने कौने से साहित्यकार जुड़े थे। तक्षक ने कहा कि ये दोनों ऐतिहासिक घटनाएँ, यह स्मरण दिलाती हैं कि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो क्या नहीं हो सकता ? साथ ही हम सभी प्रवासी भारतवंशियों को भी यह सीख देती हैं कि हमें व्यक्तिगत स्तर पर, भारतीय साहित्य और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर, पोषित, संरक्षित व पल्लवित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ताकि विश्व भर में फैले भारतीय डायसपोरा के माध्यम से भारतीय साहित्य एवं संस्कृति के पिरामिड को वृहतर और सशक्त बनाया जा सके।
फ्रांस से हरु मेहरा ने ‘प्रेम की वह बात’ के अंतर्गत, अपनी रचना के माध्यम से बताया कि पश्चिम में, प्रेम एक गहन औपचारिकता की चादर ओढ़े हुए है। सुंदर दिखने में महिलाओं द्वारा झुर्रियां हटाने के लिए बोटोक्स फिलिंग, नकली बाल और ऊपर से फैशन उद्योग और विज्ञापन का दबाव जीवन पर गहरी पकड़ बनाए हुए है।
सूरीनाम से शर्मिला रामरतन ने बताया कि मैं गिरमिटिया की पाँचवी पीढ़ी हूँ। उन्होंने सूरीनाम की रोचक जानकारी साझा करते हुए, वहाँ के पशु, पौधे, नदियाँ, झील, पहाड़ और वनस्पति जगत व प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत चित्रण किया।
लंदन से चार पुस्तकों की लेखक, चौदह वर्षीय दीवा करनानी शाह ने अपना संस्मरण साझा करते हुए बताया कि वे लंदन गुरुकुल में हिंदी सीख रही हैं। अपनी इसी सीख से वे लंदन स्थित मंदिर में, नियमित रुप से छोटे बच्चों को हिंदी बोलना व पढ़ना सीखाती हैं।
भारत से प्रसिद्ध साहित्यकार राधेश्याम तिवारी ने ‘प्रेम की वह बात’ शीर्षक के अंतर्गत, फणीश्वरनाथ रेणु के घर मिलने जाने का संस्मरण सुनाया। वहाँ उनको रेणु जी की तीसरी पत्नी किरण ने बताया कि आपने देखा होगा कि घर में पदमा रेणु (दूसरी पत्नी) की ही फोटो लगी है। उनकी पहली पत्नी लतिका की फोटो नहीं लगी है। इस पर उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर का कथन को उद्धृत किया ” मेरे हृदय में, विरहिणी की तस्वीर रहती है।” ऐसा मार्मिक संस्मरण अंश सुनाया।
लंदन में गुरुकुल की संचालक इंदु बारौठ चारण ने लंदन शहर, मेरे सपनों का शहर, मेरा शहर, विभिन्न संस्कृतियों के मिलन का शहर, विविधता में एकता पिरोता शहर की बात अपनी मार्मिक रचना के माध्यम से साझा किया। इस अवसर पर, अमेरिका से विनीता तिवारी ने अपनी प्रवास की संवेदनाओं को अभिव्यक्त करते हुए ‘बाँध गठरिया, पहुँच गये अमरीका, वहाँ आँगन था न छींका, लगता था सब फीका’ रचना सुनाकर सबका मन मोह लिया।

रामा तक्षक

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