” मोल “
करुणा भाभी आज आप सैर करने के लिए आई है क्या?
हां आज सोचा बहुत दिन हो गया तुम लोगों से मिले तो आज अपने कॉलोनी का ही चक्कर लगाती।
यह घर को जंगल क्यों बना कर रखा है तुमने मालती ये कद्दू और बरबटी का पेड़ क्यों लगा कर रखा है क्यों?
आखिर ये चार पांच वाला कद्दू कितने का होगा।
भाभी आपको लेना है तो ऐसी लिए जो पैसे की क्या बात है?
तुम समझ नहीं रही हो मैं तो यह कहना चाह रही हूं कितनी सी सब्जी होगी?
कितने पैसे बचा कर तुम कितनी अमीर होगी।
आप बिल्कुल सच कह रही हैं ।
आपको पता ही है कि मैं सब्जियों के छिलके और सब्जियों को घर के सामने की क्यारी में ही डालती हूं मैं अपना पूरा खाली समय पेड़ पौधों के साथ ही रहती हूं दुनिया में हर चीज का मोल फायदा और नुस्कान देखकर मैं आपकी तरह नहीं करती इन फूलों की तरह मेरा घर भी हरा भरा है और आप यूं ही खाली सड़कों पर सुबह-शाम भटकती हो ।
तभी अंदर से आवाज आई मां अब बाहर क्या कर रहे हो अंदर आओ किसे जीवन के नफा नुकसान का ज्ञान दे रही हो आंटी बहुत समझदार हैं।
आप तो दिन भर घर में रहते हो आप को दुनिया क्या पता कि आजकल क्या फैशन में चल रहा है।
तुम सब ठीक ही कह रहे हो आजकल फास्ट फूड का जमाना है मेरी इन सब्जियों को कौन पूछेगा लेकिन मोल समझने वाला ही समझेगा, क्योंकि खग की भाषा खग ही जानते है।
उमा मिश्रा प्रीति