संकेत साहित्य समिति ,बिलासपुर इकाई ने मनाया 44 वां स्थापना दिवस
संकेत साहित्य समिति ,बिलासपुर इकाई ने मनाया 44 वां स्थापना दिवस
बिलासपुर छत्तीसगढ़ – संकेत साहित्य समिति, बिलासपुर इकाई द्वारा संकेत साहित्य समिति के 44 वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में
राजकिशोर नगर में नरेन्द्र प्रसाद तिवारी के मुख्य आतिथ्य , रमेश चौरसिया ‘राही’ , केवल कृष्ण पाठक के विशिष्ट आतिथ्य एवं कृष्ण कुमार ठाकुर की अध्यक्षता में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का सफल संचालन किया हरवंश शुक्ला ने। संकेत बिलासपुर इकाई के अध्यक्ष राकेश खरे ‘ राकेश’ ने समिति की काव्य यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि समिति पिछले 43 वर्षों से अंचल के नये पुराने साहित्यकारों को एक सूत्र में पिरोने और सभी विधा के लोगों को जोड़ने तथा मंच प्रदान करने का कार्य करती रही है ।जिसका प्रतिफल है आज कई श्रेष्ठ साहित्यकार एवं उदायमान साहित्यकार प्रदेश एवं देश में ख्याति प्राप्त कर रहे हैं।
काव्य गोष्ठी में पढ़ी गई रचनाओं के कुछ अंश
• कृष्ण कुमार ठाकुर -उठ जाग तोड़ तंद्रा मन की ,
बहनें तुम्हें बुला रही ।रोली चंदन की थाल लिए
माताऐं तुम्हें बुला रहीं।
• हरवंश शुक्ला – खाकर ठोकर पत्थरों से , सीखता न आदमी । छैनियों की ठोकरों से,वह भी तो भगवन होता
• अमृत लाल पाठक – तुमसे पुलकित द्वार घर गलियां मेरी , है प्रफुल्लित धाम धन निधियां मेरी
• केवल कृष्ण पाठक- मैं तुम्ही में रंग जाऊं, झुमूँ नाचूँ गीत गाऊँ । तुमसे अपनी आशिकी का ,ये जमाना चाहता हूं ।अपनी सारी हसरतों को, तेरे रस में घोल कर, मैं जाम तेरे नाम का पी, डगमगाना चाहता हूं ।
• विजय तिवारी -जो कभी अपना नहीं था ,मान बैठा पास का मैं ।
• नरेंद्र कुमार शुक्ल “अविचल “-हर घर में राम होना चाहिये राम नाम होना चाहिए ।हर घर मे सीता जैसी नारी होना चाहिये ।
• श्रीमती रमा चौरसिया -तरंगित जीवन है मुस्कुराना ,
सागर में खो विलीन हो जाना।
• श्रीमती वन्दना खरे- मूषक की नादानी हास्य काव्य का पाठ किया ,
• श्रीमती गीता नायक -है पूछ रही धरा हमसे, क्या कसूर हमारा है । मेरी हरीतिमा छीनकर,कैसा क़र्ज़ उतारा है ।
•रमेश चौरसिया “राही”- मैंने आवाज दी अब तो आ जाइये, गीत मेरा कोई गुनगुनाइए
• राकेश खरे ” राकेश “-आगे _ आगे बढ़ने दो,
मत रोको आगे बढ़ने दो ।लक्ष्य निहारता है आपको ,
हिंदी को प्रतिनिधित्व करने दो ।
• श्रीमती नविता ठाकुर “निश्छल “-प्रयास ही सफलता की सीढ़ी है।
मुख्य अतिथि एन पी तिवारी जी ने अपने उदबोधन मे जीवन में साहित्य का अमूल्य स्थान है ।कार्यक्रम को सराहनीय सार्थक सारगर्भित प्रेरणात्मक निरूपित करते हुए अपनी गीता पर आधारित कविता से मंत्रमुग्ध किया। डा. गोपाल चंद्र मुखर्जी दादाने हिंदी बंगला रचनाओं से मधुरता के स्तर को छुआ एवं आयोजन को सार्थक सुन्दर सराहनीय तथा समय की आवश्यकता बताया । अंत मे समिति के अध्यक्ष राकेश खरे ‘राकेश ” द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।