मासिक गोष्ठी संपन्न
मासिक गोष्ठी संपन्न
दिनांक 11 8.2024 को विश्व स्वास्थ्य संगठन संस्थान दिल्ली (वास)के तत्वाधान में एक गोष्टी 2/ 133 श्रद्धापुरी फेस 1 कंकरखेड़ा मेरठ में आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता डॉक्टर सोराज प्रजापति मेरठ ने की। कार्यक्रम में दिल्ली से पधारे वास के पदाधिकारी डॉक्टर धर्मेंद्र मिश्र जी एवम् डॉक्टर प्रदीप मिश्रा जी ने वास के उद्देश्य और समाज में अपनी मूल संस्कृति के अनुसार प्राकृतिक चिकित्सा एवं उपलब्ध संसाधनों के द्वारा कैसे स्वस्थ रहा जा सकता है, की विस्तार से चर्चा की। श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर देकर उन्हें संतुष्ट किया। उपस्थित कई लोगों ने अपने रोगों के बारे में बताया और उसका उपचार भी जाना।
प्रस्तावित गोष्टी आशा से अधिक सफल रही। लोगों की उपस्थिति भी आशा से अधिक रही, समय भी आशा से अधिक लगा, लेकिन परिणाम में श्रोताओं ने जल्द ही एक कैंप लगाकर पीड़ितों के उपचार के लिए विधि वत शीघ्र योजना बनाये जाने के लिए निवेदन भी किया।
कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर नरेंद्र त्यागी नीर ने वास के पदाधिकारी का स सम्मान धन्यवाद प्रेषित किया और श्रोताओं का भी तहे दिल से धन्यवाद करते हुए सभी को जाने से पहले जलपान करने का आग्रह किया।
तदुपरांत नारायणी साहित्य अकादमी का वार्षिकोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया गया। संस्था की यह मासिक गोष्ठी आ. नरेन्द्र त्यागी नीर जी द्वारा संचालित किए जा रहे पुस्तकालय 2/133 श्रद्धापुरी में आयोजित की गई।
गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ गीतकार बृजकिशोर ‘राहगीर’ जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि पद पर दिल्ली से पधारे संस्था के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप मिश्र अजनबी जी रहे। विशिष्ट अतिथि की भूमिका में मेरठ के व्यंगकार आ. विनय नोक जी रहे। गोष्ठी का खूबसूरत संचालन श्रीमती सीमा गर्ग ‘मंजरी’ जी ने किया। गोष्ठी में उपस्थित सभी सदस्यों की देशप्रेम एवं सावन माह पर बहुत खूबसूरत मनमोहक प्रस्तुतियाँ रही। दिल्ली से पधारी सीमा शर्मा मंजरी जी ने सुमधुर काव्य पाठ से सभी का मन मोह लिया। गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र त्यागी नीर जी, प्रसिद्ध साहित्यकारा ऋतु अग्रवाल, रचना वानिया, शोभा रतूड़ी, चुन्नी रस्तोगी, रजनी त्यागी, अलका गुप्ता ‘भारती’ जी की गरिमामय उपस्थिति रही।
अंत में जिला संयोजिका श्रीमती सीमा गर्ग ‘मंजरी’ जी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया एवं गोष्ठी समापन की घोषणा की। तत्पश्चात सुस्वादु अल्पाहार के साथ सभी कवि/ कवयित्रियों ने व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया।